वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 39वां दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा संस्कृत के पास 102 अरब 78 करोड़ 56 लाख शब्द हैं,मालिनी अवस्थी को विद्या वाचस्पति की उपाधि दी

 

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की चांसलर राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि संस्कृत के पास 102 अरब 78 करोड़ 56 लाख शब्द हैं।

ये शब्द ही संस्कृत को महान बनाते हैं। यह भाषा अमृत के समान होता है। भारतीय इतिहास की मूल्यवान धरोहरें संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं।

यह हमारी परंपरा को सदियों से चलाती आई है। इसके महत्व को देखते हुए नई शिक्षा नीति में संस्कृत को विशेष स्थान दिया है। 

Newspoint24/संवाददाता 
 

वाराणसी।  संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 39वां दीक्षांत समारोह में आज राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने लोक गायिका मालिनी अवस्थी को विद्या वाचस्पति (डी-लिट) की उपाधि दी। इसके बाद उन्होंने 4 ग्रंथों न्यायकौस्तुभ, सरस्वती, सुषमा और कुलगीतम् समेत एक विश्वविद्यालय पंचांग का लोकार्पण किया।

कार्यक्रम में उन्होंने 37 मेधावियों को 63 गोल्ड मेडल और 26 को पीएचडी (PhD) की उपाधि दी गई। इसके साथ ही दीक्षांत समारोह में कुल 15520 ग्रेजुएट्स को डिग्री देने के साथ ही संबंद्ध कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को बैग, किताब और फल देकर सम्मानित किया गया।
संस्कृत के पास 102 अरब 78 करोड़ 56 लाख शब्द हैं
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की चांसलर राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि संस्कृत के पास 102 अरब 78 करोड़ 56 लाख शब्द हैं। ये शब्द ही संस्कृत को महान बनाते हैं। यह भाषा अमृत के समान होता है। भारतीय इतिहास की मूल्यवान धरोहरें संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं। यह हमारी परंपरा को सदियों से चलाती आई है। इसके महत्व को देखते हुए नई शिक्षा नीति में संस्कृत को विशेष स्थान दिया है। कहा कि जो छात्र यहां से पासआउट होकर जा रहे हैं वे अपने क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

यह काशी नगरी हमेशा जाग्रत रहती है वर्तमान में काशी नव्य और भव्य रूप में प्रदर्शित हो रही है

आनंदी बेन ने कहा कि मालिनी अवस्थी की ही तरह से विश्वविद्यालय हर साल ऐसी विभूतियों को सम्मानित करे। इससे उनके व्याख्यानों को सुनकर छात्र-छात्रा उत्साहित होते हैं। आनंदी बेन ने कहा कि यह काशी नगरी हमेशा जाग्रत रहती है। यहां की धरती बड़ी मांगलिक है। वर्तमान में काशी नव्य और भव्य रूप में प्रदर्शित हो रही है। दुनिया भर के लोग अब काशी में आना चाहते हैं।

कैंपस की सुविधाएं और लाइब्रेरी हो रही डिजिटल
मुख्य अतिथि मालिनी अवस्थी ने कहा कि अपने आप में ऐसी शैली विकसित करें, जिससे देवभाषा के प्रति लोग आकर्षित हो। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि अब संपूर्णानंद में सभी चीजेें डिजिटलाइज की जा रहीं हैं। एग्जाम, अफ्लिऐशन और सरस्वती लाइब्रेरी में रखे ग्रंथों आदि का डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। अंक पत्रों का वैरिफिकेशन घर बैठे ही किया जा सकता है। वहीं विश्वविद्यालय कैंपस को डब्लूआईएफआई  (WIFI) और सीसीटीवी (CCTV) कैमरा से लैस किया जा रहा है। इसके साथ ही स्टाफ को डेस्कटॉप भी दिया जा रहा है। इस पूरे समारोह का संचालन डॉ. रविशंकर पांडेय ने किया। कार्यक्रम में पद्मश्री सरोज चूड़ामणि, कुलपति प्रो. सीमा सिंह, कुलपति प्रो. योगेश चंद्र दुबे और बदामी त्रिपाठी भी मौजूद रहीं।

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