इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुख्तार अंसारी को राहत तय सजा से अधिक समय तक जेल में रखने का मामला पढ़ें क्या है पूरा आदेश 

 

पिछले 16 साल से जेल में बंद मऊ से बसपा विधायक अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर

कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था। याची का कहना है कि गिरोहबंद कानून में अधिकतम सजा

10 साल की कैद है। वह इससे ज्यादा समय से जेल में बंद है। तय सजा जेल में बिताने के बाद गिरोहबंद

कानून में उसकी नजरबंदी अवैध है। उसे स्वतंत्र होने का अधिकार है।

Newspoint24/संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ

 प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांदा जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को राहत दी है। अंसारी ने गिरोहबंद कानून में रिमांड आदेश जारी करने की वैधता को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने एमपी/एमएलए विशेष अदालत प्रयागराज को निर्देश दिया है कि वह जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर उचित आदेश पारित करे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने दिया है।

पिछले 16 साल से जेल में बंद मऊ से बसपा विधायक अंसारी
पिछले 16 साल से जेल में बंद मऊ से बसपा विधायक अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था। याची का कहना है कि गिरोहबंद कानून में अधिकतम सजा 10 साल की कैद है। वह इससे ज्यादा समय से जेल में बंद है। तय सजा जेल में बिताने के बाद गिरोहबंद कानून में उसकी नजरबंदी अवैध है। उसे स्वतंत्र होने का अधिकार है।

मुख्तार अंसारी का कहना है कि 2007 में उसके खिलाफ जेल में रहने बावजूद गिरोहबंद कानून के तहत गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में FIR दर्ज कराई गई है। विशेष अदालत, वाराणसी ने 22 जुलाई, 2009 को रिमांड स्वीकृत की। वह 22 अक्टूबर, 2005 से जेल में बंद है। अब प्रयागराज की विशेष अदालत में केस चल रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तय सजा से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता
गौतम नौलखा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तय सजा से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में उसे गिरोहबंद कानून के तहत बंद रखना गैरकानूनी है। विचारण न्यायालय वारंट जारी करने जा रही है। कोर्ट ने याची को विशेष अदालत में 2 हफ्ते में अर्जी देने और उस पर जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

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