वाराणसी : पहली बार डॉक्टरों ने बिना बेहोश किए डेढ़ घंटे में ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की   

 

डॉक्टरों के मुताबिक यदि मरीज को बेहोश करके सर्जरी की जाती तो उसका नर्वस सिस्टम का कुछ हिस्सा गड़बड़ हो सकता था। जीवन भर के लिए अपंगता का शिकार हो सकता था।

मेडिकल सांइंस में इस तरह की सर्जरी को 'अवेक क्रेनियोटोमी' (Awake Craniotomy) कहा जाता है। इसका साधारण शब्दों में अर्थ है सचेत अवस्था में ब्रेन सर्जरी कराना।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

वाराणसी। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर के डॉक्टरों ने बुधवार को पहली बार बिना बेहोश किए डेढ़ घंटे में ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की।  ब्रेन से निकले गए ट्यूमर का साइज 4.5 सेंटीमीटर है। निकालने के बाद बायोप्सी के लिए भेजा गया है। अब मरीज खतरे से बाहर है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ औपचारिकता पूरी कर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

डॉक्टरों के मुताबिक यदि मरीज को बेहोश करके सर्जरी की जाती तो उसका नर्वस सिस्टम का कुछ हिस्सा गड़बड़ हो सकता था। जीवन भर के लिए अपंगता का शिकार हो सकता था।

मेडिकल सांइंस में इस तरह की सर्जरी को 'अवेक क्रेनियोटोमी' (Awake Craniotomy) कहा जाता है। इसका साधारण शब्दों में अर्थ है सचेत अवस्था में ब्रेन सर्जरी कराना।

डॉ. शुभी ने बताया कि क्यों नहीं किया बेहोश ?

डॉ. शुभी ने बताया कि मरीज के ब्रेन के जिस हिस्से में ट्यूमर था, वहीं उसकी सेंस वाली नर्व्स थी। यानी कि ब्रेन के उस हिस्से में बातचीत, समझने, महसूस करने, हाथ-पांव की ताकत, और मैथमेटिकल कैलकुलेशन कैपेसिटी का सेंटर था। हमें यह सुनिश्चित करना था कि सर्जरी के दौरान मरीज के ब्रेन के इस हिस्से पर कोई असर न पड़े।

अगर मरीज को बेहोश करके यह सर्जरी की जाती तो इन एरिया में होने वाली हरकतें या फिर समस्याओं का आभास ही नहीं हो पाता।

मरीज जीवन भर के लिए विकलांग हो सकता था। उसके सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती। इसलिए मरीज का इलाज अवेक क्रेनियोटोमी विधा से किया गया।

डॉ. दुबे ने बताया कि बातचीत (संवाद) वाले हिस्से में था ट्यूमर

यह सर्जरी अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शुभी दुबे और उनकी टीम ने किया। डॉ. दुबे ने बताया कि कुछ दिन पहले सिर में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल में 25 साल का एक मरीज आया। जांच में ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई थी। यह ट्यूमर ब्रेन के ऐसे हिस्से में था।

जिसे निकालने के लिए मरीज को सचेत अवस्था में रखना जरूरी था। सभी जरूरी जांच के बाद बुधवार को मरीज की सर्जरी की गई।

सर्जरी के बीच-बीच में डॉक्टरों की टीम मरीज से बातचीत करती रही

सर्जरी के बीच-बीच में डॉक्टरों की टीम मरीज से बातचीत करती रही। इससे यह समझा जा रहा था कि कहीं ट्यूमर निकालने के दौरान मरीज को किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ है। इस दौरान मरीज “लोकल एनेस्थीसिया” दिया गया था। इससे उसे दर्द का आभास नहीं हुआ।

डॉ. शुभी ने बताया कि इस तरह की सर्जरी इस कैंसर अस्पताल में पहली बार की गई। उत्तर प्रदेश में इस तरह की सर्जरी की सुविधा कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है। अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने डॉ. शुभी दुबे और एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रो. मोनोतोष प्रमाणिक सहित पूरी टीम को बधाई दी है।

कहा कि अस्पताल आने वाले सभी कैंसर मरीजों को आधुनिक और गुणवत्तापरक इलाज सुनिश्चित किया जाए। यह हम सभी की जिम्मेदारी है। पिछले कुछ महीनों में कैंसर मरीजों के लिए कई नई सुविधाओं की शुरुआत हुई है, जो आने वाले समय में भी होती रहेगी।

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