मद्रास हाईकोर्ट ने शादी और बच्चों की परवरिश को लेकर अहम टिप्पणी : शादी सिर्फ शारीरिक सुख के लिए नहीं  

 
जस्टिस कृष्णन रामास्वामी ने एक वकील दंपति के बीच बच्चे की कस्टडी के केस पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के बीच प्यार खत्म हो सकता है, उसका रिश्ता भी खत्म हो सकता है, लेकिन माता और पिता के रूप में बच्चे के साथ उनका रिश्ता खत्म नहीं होता। चाहे कोई महिला या पुरुष दूसरी या तीसरी शादी भी क्यों न कर ले, लेकिन बच्चों के लिए वह हमेशा माता-पिता ही रहते हैं।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
 

चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने शादी और बच्चों की परवरिश को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट का कहना है कि शादी सिर्फ शारीरिक सुख के लिए नहीं होती, बल्कि लोग अपना परिवार आगे बढ़ाने के लिए इस पवित्र बंधन में बंधते हैं। शादी के बाद जन्म लेने वाला बच्चा पति-पत्नी को जोड़ने का काम करता है, इससे उनका रिश्ता मजबूत होता है।

मां-बाप का बच्चों संग रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
जस्टिस कृष्णन रामास्वामी ने एक वकील दंपति के बीच बच्चे की कस्टडी के केस पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के बीच प्यार खत्म हो सकता है, उसका रिश्ता भी खत्म हो सकता है, लेकिन माता और पिता के रूप में बच्चे के साथ उनका रिश्ता खत्म नहीं होता। चाहे कोई महिला या पुरुष दूसरी या तीसरी शादी भी क्यों न कर ले, लेकिन बच्चों के लिए वह हमेशा माता-पिता ही रहते हैं।

महिला ने कहा- पति बच्चे से मिलने नहीं देता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्नी ने कोर्ट से शिकायत की थी कि उसका वकील पति उसे बच्चे से मिलने नहीं देता। जबकि कोर्ट ने पति को बच्चे की कस्टडी देते हुए कहा था कि मां जब चाहे बच्चे से मिल सकती है। महिला ने कहा कि मेरे पति कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। महिला ने अपने पति पर पेरेंटल एलिइनेशन का आरोप लगाया है।

पेरेंटल एलिइनेशन क्या है
जब एक पैरेंट, बच्चे को दूसरे पैरेंट से दूर रखने के लिए उसे भड़काता है। उससे नफरत करना सिखाया है, इसे पेरेंटल एलिइनेशन कहते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसका असर बच्चों के मानसिक सेहत पर पड़ता है।

​​​​​​​पेरेंटल एलिएनेशन बच्चों के लिए खतरा- कोर्ट
जस्टिस रामास्वामी ने पेरेंटल एलिइनेशन को अमानवीय और बच्चे के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि बच्चे को एक पैरेंट के खिलाफ करना सही नहीं है। बच्चा मां और बाप दोनों का हाथ पकड़कर बड़ा होता है, लेकिन अगर किसी वजह से मां-बाप अलग हो गए हैं फिर भी बच्चों को युवा होने तक दोनों की जरूरत होती है।

जस्टिस ने कहा कि बच्चों के मन में किसी के लिए नफरत भरना आसान नहीं है। बच्चे के मन में नफरत तब आती है जब उनका कोई भरोसेमंद शख्स उन्हें यह सिखाए।

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