3 गलतियां और 7 महीने में टूट गई कांग्रेस : गोवा कांग्रेस के 11 में से 8 विधायकों ने पार्टी छोड़ी, स्पीकर को कांग्रेस से अलग होने की चिट्ठी सौंपी

 
कांग्रेस छोड़ने वाले विधायक गोवा के पूर्व CM दिगंबर कामत, माइकल लोबो, देलिया लोबो, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई, एलेक्सो स्काइरिया, संकल्प अमोलकर और रोडोल्फो फर्नांडीज शामिल है। बागी विधायकों की संख्या पार्टी के कुल विधायकों की संख्या के दो-तिहाई से ज्यादा है। इस वजह से इन विधायकों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
 
पणजी। गोवा कांग्रेस के 11 में से 8 विधायकों ने बुधवार को पार्टी छोड़ दी। सभी विधायक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ विधानसभा पहुंचे और स्पीकर रमेश तावड़कर को कांग्रेस से अलग होने की चिट्ठी सौंपी। इसके तुरंत बाद गोवा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनवड़े ने सभी विधायकों को भाजपा की सदस्यता दिलाई।

कांग्रेस छोड़ने वाले विधायक गोवा के पूर्व CM दिगंबर कामत, माइकल लोबो, देलिया लोबो, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई, एलेक्सो स्काइरिया, संकल्प अमोलकर और रोडोल्फो फर्नांडीज शामिल है। बागी विधायकों की संख्या पार्टी के कुल विधायकों की संख्या के दो-तिहाई से ज्यादा है। इस वजह से इन विधायकों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।

कांग्रेस बोली- भारत जोड़ो यात्रा से डरी भाजपा
गोवा में टूट के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- भाजपा भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है और ऑपरेशन कीचड़ करने में जुटी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख आगे कहा- भाजपा सिर्फ तोड़ सकती है। वहीं कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडूराव ने लिखा- पैसे और सत्ता के दम पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। 

3 गलतियां और 7 महीने में टूट गई कांग्रेस
10 मार्च 2022 को गोवा विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। इनमें कांग्रेस को 40 में से 11 सीटें मिली थीं, लेकिन 7 महीने के भीतर ही पार्टी टूट गई। इसके पीछे की वजह कांग्रेस की 3 बड़ी गलतियां है। इन्हें यहां समझिए...

1. बाहर से आए लोबो का कद बढ़ाना- चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस ने बाहर से आने वाले माइकल लोबो को नेता प्रतिपक्ष बनाया। लोबो चुनाव से पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे। नेता प्रतिपक्ष की रेस में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ थे। उनकी नाराजगी को देखकर तय माना जा रहा था कि कांग्रेस में टूट होगी।

2. अध्यक्ष पर एक्शन, प्रभारी पर कार्रवाई नहीं- गोवा में हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर से इस्तीफा ले लिया, लेकिन प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडूराव पर कोई कार्रवाई नहीं की। गुंडूराव से पार्टी के कई सीनियर चुनाव के पहले से नाराज चल रहे थे। इसी वजह से पार्टी ने पी चिदंबरम को कांग्रेस का ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था।

3. नए अध्यक्ष पर गुटबाजी हुई तो एक्शन नहीं लिया- गोवा कांग्रेस के नए अध्यक्ष अमित पाटकर को लेकर भी पार्टी में गुटबाजी तेज हुई थी, जिसका असर राष्ट्रपति चुनाव में दिखा। पार्टी के 4 विधायकों ने उस वक्त क्रॉस वोटिंग की थी। कांग्रेस ने इस पर भी डैमेज कंट्रोल का कदम नहीं उठाया।

कामत और लोबो पर कांग्रेस ने की थी कार्रवाई
इसी साल जुलाई में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाकर दिगंबर कामत और माइकल लोबो पर कार्रवाई की थी। उस वक्त कांग्रेस टूट से बचने के लिए अपने 5 विधायकों को चेन्नई शिफ्ट कर दिया था।

 

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