निकाय चुनाव के लाखों दावेदारों और उनके समर्थकों की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी , लखनऊ बैंच में 20 दिसंबर को सुनवाई 

निकाय चुनाव के लाखों दावेदारों और उनके समर्थकों की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी , लखनऊ बैंच में 20 दिसंबर को सुनवाई
निकाय चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय और लखनऊ बैंच में 20 दिसंबर को सुनवाई होगी। सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में जवाब पेश कर दिया गया है। सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब पर बहस के बाद मंगलवार देर शाम तक फैसला आने की उम्मीद है। प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के साथ निकाय चुनाव के लाखों दावेदारों और उनके समर्थकों की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी है।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
 
लखनऊ। निकाय चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय और लखनऊ बैंच में 20 दिसंबर को सुनवाई होगी। सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में जवाब पेश कर दिया गया है। सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब पर बहस के बाद मंगलवार देर शाम तक फैसला आने की उम्मीद है। प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के साथ निकाय चुनाव के लाखों दावेदारों और उनके समर्थकों की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी है। उच्च न्यायालय का फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया तो निकाय चुनाव अप्रैल-मई 2023 तक टल सकते है।

योगी सरकार के अपर महाधिवक्ता विनोद शाही की ओर से निकाय चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं पर सरकार ने अपना जवाब पेश कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने आश्वस्त किया है कि निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का पूरी तरह पालन किया गया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर संविधान में किए गए प्रावधान के साथ सर्वोच्च न्यायालय की ओर से समय-समय पर दिए गए आदेशों का भी पालन किया गया है। निकाय चुनाव में लागू आरक्षण व्यवस्था से किसी भी पक्ष का अहित नहीं होगा।


याचिका पर मंगलवार को उच्च न्यायालय में सरकार और याचिकाकर्ताओं के वकील बहस करेंगे। उसके बाद शाम तक मामले में फैसला आने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यदि फैसला सरकार के पक्ष में आया तो याचिकाकर्ता सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे। वहीं यदि फैसला सरकार के खिलाफ आया तो सरकार भी सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी या फिर आयोग का गठन कर चुनाव को चार से पांच महीने के लिए टाल सकती है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 545 नगर पंचायत, 200 नगर पालिका परिषद और 17 नगर निगम में चेयरमैन और महापौर चुनाव के साथ करीब 13 हजार वार्डों में सभासद का चुनाव भी होना है। चुनाव के लिए भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा, रालोद, सुभासपा, अपना दल और निषाद पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों के लाखों दावेदार मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। उच्च न्यायालय के फैसले का सभी राजनीतिक दलों पर असर पड़ेगा।

 

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