रामनगर में बना बायोगैस प्लांट अगस्त महीने से एक्टिव हो जाएगा, काशी के घर-घर में गोबर गैस से चूल्हे जलेंगे : अतुल चतुर्वेदी

Biogas plant built in Ramnagar will be active from August month, stoves will be lit with cow dung gas in every house of Kashi: Atul Chaturvedi

सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा पहली बार है कि देश में गोबर से बायोगैस बनाकर हर घर का चूल्हा जलाया जाएगा। वहीं अब अक्टूबर तक रामनगर में ही गोबर बायोगैस से बिजली का उत्पादन भी शुरु हो जाएगा।

इससे पराग डेयरी को अपने खपत के लिए पर्याप्त बिजली मिलेगी।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

वाराणसी। रामनगर में बना बायोगैस प्लांट अगस्त महीने से एक्टिव हो जाएगा। आज वाराणसी पहुंचे भारत सरकार के डेयरी एवं पशुपालन विभाग के सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि अगले महीने से काशी के घर-घर में गोबर गैस से चूल्हे जलेंगे। प्लांट का ट्रायल हो चुका है। अब चार किलोमीटर के एरिया में पाइपलाइन द्वारा आपके किचन तक गैस पहुंचाई जाएगी।

 सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा पहली बार है कि देश में गोबर से बायोगैस बनाकर हर घर का चूल्हा जलाया जाएगा। वहीं अब अक्टूबर तक रामनगर में ही गोबर बायोगैस से बिजली का उत्पादन भी शुरु हो जाएगा। इससे पराग डेयरी को अपने खपत के लिए पर्याप्त बिजली मिलेगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री ने इस प्लांट की आधारशिला रखी थी। वह इस प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस देखने आए थे। यह यूनिक प्रोजेक्ट है। अतुल चतुर्वेदी ने बताया कि वह अपने जन्म स्थान वाराणसी 56 साल के बाद आए हैं। अपने परिजनों से मिलकर काफी खुशी हो रही है।

किसानों को होगा डबल प्रॉफिट

सचिव अतुल चतुर्वेदी ने बताया कि दूध के साथ ही किसान अब गोबर भी बेच सकेंगे। इससे किसानों और दुग्ध पालकों को डबल प्रॉफिट होने वाला है। सरकार की मंशा के अनुरूप मेरा यह आत्मविश्वास है कि अगर किसानों की आय बढ़ानी है तो कुछ ऐसे ही स्टेप्स लेने होंगे। उनकी आय दोगुनी करने से काम नहीं होगा, उन्हें धनी बनाना होगा। इसके लिए लाइव स्टॉक से बेहतर कोई सेक्टर नहीं है।

24 करोड़ की लागत से बन रहा प्लांट

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा वाराणसी में 24 करोड़ रुपये की लागत से 100 टन की क्षमता का बायोगैस प्लांट का निर्माण किया गया है। रामनगर के इंडस्ट्रियल एरिया के फेज वन में पराग डेयरी कैंपस में इसे बनाया गया है। इसके बन जाने से पहली बार कोई डेयरी पूरी तरह से एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भर होगी। इस प्लांट को पूरी कैपेसिटी से चलाने के लिए 100 टन गोबर की जरुरत होगी। वाराणसी में तमाम समितियों से जुड़े किसानों से गोबर की खरीदारी की जानी है।

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