अयोध्या : 11 माह तक जेल में रहने के बाद खब्बू तिवारी को मिली जमानत 

Ayodhya: Khabbu Tiwari gets bail after being in jail for 11 months
11 माह जेल में रहने के बाद भाजपा के गोसाईगंज विधानसभा से पूर्व विधायक व बाहुबली इंद्र प्रताप तिवारी अब खुले में सांस ले सकेंगे। पूर्रंचल के बड़े ब्राह्मण नेता खब्बू को सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने उनको जमानत दे दी। 18 अक्तूबर 2021 को जिले के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) ने उस समय 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र व बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी करने के आरोप में  मामले पूर्व विधायक समेत तीन लोगों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

अयोध्या । फर्जी अंकपत्र मामले में जेल में पांच साल की सजा काट रहे भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। इसकी सूचना मिलने के बाद उनके समर्थकों में हर्ष का माहौल छा गया। उन्होंने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। वहीं, सोशल मीडिया पर भी बधाई का दौर जारी है। बीते वर्ष 18 अक्तूबर 2021 को जिले के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) ने 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र व बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी करने के मामले में तत्कालीन विधायक के साथ ही छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी को पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया था। इसके करीब तीन माह के के बाद फूलचंद व कृपानिधान को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी लेकिन खब्बू की जमानत खारिज कर दी थी।

11 माह जेल में रहने के बाद इंद्र प्रताप तिवारी अब खुले में सांस ले सकेंगे
करीब 11 माह जेल में रहने के बाद भाजपा के गोसाईगंज विधानसभा से पूर्व विधायक व बाहुबली इंद्र प्रताप तिवारी अब खुले में सांस ले सकेंगे। ब्राह्मण नेता खब्बू को सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने उनको जमानत दे दी। 18 अक्तूबर 2021 को जिले के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) ने उस समय 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र व बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी करने के आरोप में  मामले पूर्व विधायक समेत तीन लोगों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी।  

वर्ष 1992 में रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुआ था केस
मामला अयोध्या के थाना रामजन्मभूमि का वर्ष 1992 का था। आरोप के मुताबिक 14 फरवरी 1992 में साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में फर्जी अंक पत्रों के आधार पर प्रवेश प्राप्त करने का मामला प्रकाश में आया था। इनमें फूलचंद यादव बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा 1986 में अनुत्तीर्ण रहने और बैक पेपर परीक्षा के उपरांत भी बीएससी द्वितीय वर्ष में प्रवेश पाने के योग्य नहीं थे परंतु विश्वविद्यालय की ओर से निर्गत बैक पेपर परीक्षाफल पत्रक पर हेरफेरी कर धोखाधड़ी और षड्यंत्र के आधार पर उत्तीर्ण होने का अंक पत्र प्राप्त कर लिया। इसी प्रकार इंद्र प्रताप तिवारी ने बीएससी द्वितीय वर्ष परीक्षा 1990 में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद बीएससी तृतीय वर्ष और कृपानिधान तिवारी ने प्रथम वर्ष 1989 में एलएलबी प्रथम वर्ष में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद छल कपट कर एलएलबी द्वितीय वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर लिया।

साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी के संज्ञान में यह मामला 18 फरवरी 1992 को आया। तब उन्होंने एसएसपी से मिलकर इन तीनों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी। एसएसपी के निर्देश पर थाना रामजन्मभूमि तीनों के विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया गया। मामले के विवेचक ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र संबंधित अदालत में प्रस्तुत किया। अदालत में सुनवाई के दौरान महाविद्यालय के तीन कर्मचारियों महेंद्र कुमार अग्रवाल सहित कई गवाह संबंधित एमपी-एमएलए कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश हुए। वादी एवं गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट की विशेष न्यायाधीश (तत्कालीन) पूजा सिंह ने मामले में तीनों को दोषी पाया। इसके बाद इन तीनों को धारा 420 में तीन साल की सजा और छह हजार जुर्माना, 468 में पांच साल की सजा और आठ हजार  जुर्माना और धारा 471 में दो साल की सजा और पांच हजार जुर्माना से दंडित किया। इसके बाद तीनों को जेल भेज दिया गया था।

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