43 साल बाद...फिर मौत का साया : मोरबी में 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी के डैम टूटने से पूरा शहर किस तरह श्मशान में तब्दील हो गया था

मोरबी में 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी के डैम टूटने से पूरा शहर किस तरह श्मशान में तब्दील हो गया था

लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु डैम ओवरफ्लो हो गया था। इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई थी। 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था।

देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी, जिससे लोगों को संभलने तक का मौका भी नहीं मिला था।

Newspoint24/newsdesk

मोरबी । रविवार को गुजरात में मोरबी शहर की मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। इस पर करीब 500 लोग सवार थे, जो नदी में जा गिरे। हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। इस भयानक हादसे ने मोरबी के लोगों की फिर से एक दर्दनाक घटना की याद दिला दी थी। यह हादसा मच्छू नदी के डैम टूटने से हुआ था। आइए जानते हैं कि किस तरह 11 अगस्त 1979 को यह पूरा शहर किस तरह श्मशान में तब्दील हो गया था। अंतिम मृत्यु संख्या 5,000 और 10,000 के बीच होने का अनुमान जताया गया था ।

 

Machhu Dam II (Gujarat, India, 1979) | Case Study | ASDSO Lessons Learned

(ओवरफ्लो होने के बाद टूट गया था मच्छू डैम।)

ओवरफ्लो हो गया था डैम
लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु डैम ओवरफ्लो हो गया था। इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई थी। 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी, जिससे लोगों को संभलने तक का मौका भी नहीं मिला था।

 

morbi machhu dam failure massacre in 11 august 1979 pictures News18 Gujarati

(15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था।)

हादसे में 1400 लोगों की मौत हुई थी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 1439 लोगों और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने भयानक मंजर देखा। इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए थे। हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था और चारों ओर सिर्फ लाशें नजर आ रही थीं। इस भीषण हादसे के कुछ दिन बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था, तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी। इंसानों और पशुओं की लाशें सड़ चुकी थीं। उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे।

Machhu Dam II (Gujarat, India, 1979) | Case Study | ASDSO Lessons Learned

(राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे।)

मोदी ने रैली में साधा था स्व. इंदिरा गांधी पर निशाना
करीब पांच साल पहले मोरबी में चुनावी रैली के दौरान PM नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था- ‘मच्छू बांध त्रासदी के बाद राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन मुंह पर रूमाल डाले दुर्गंध और गंदगी से बच रही थीं। जबकि, संघ के कार्यकर्ता कीचड़ व गंदगी में घुस कर सेवाभाव से काम कर रहे थे। गुजराती मैगजीन चित्रलेखा ने इंदिरा की तस्वीर पर राजकीय गंदगी और संघ के कार्यकर्ताओं की तस्वीर पर मानवता की महक का शीर्षक लगाया था।’

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