आज का पंचांग शुक्रवार 29 जुलाई 2022 श्रावण शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा राहुकाल सुबह 10:54 से दोपहर 12:33 तक
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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग शुक्रवार 29 जुलाई 2022
29 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। शुक्रवार को सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा, जो सुबह 09.47 तक रहेगा। इस दिन सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा। इसके बाद आश्लेषा नक्षत्र दिन भर रहेगा। शुक्रवार को पहले पुष्य होने से उत्पात और उसके बाद आश्लेषा नक्षत्र होने से मृत्यु नाम के 2 अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इनके अलावा इस दिन सिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 10:54 से दोपहर 12:33 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
शुक्रवार को गुरु ग्रह अपनी ही राशि मीन में वक्री हो जाएगा। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में, सूर्य-बुध कर्क राशि में, शुक्र मिथुन राशि में, शनि मकर राशि (वक्री), मंगल-राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।
शुक्रवार 29 जुलाई 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- श्रावण
पक्ष- शुक्ल
दिन- शुक्रवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- पुष्य और आश्लेषा
करण- किस्तुघन और बव
सूर्योदय - 05:23 प्रातः
सूर्यास्त - 06:45 सायं
चन्द्रोदय - जुलाई 29 05:36 प्रातः
चन्द्रास्त - जुलाई 29 07:30 सायं
तिथि प्रतिपदा - 01:21 रात्रि , जुलाई 30 तक उपरांत द्वितीया
योग सिद्धि - 06:36 सायं तक उपरांत व्यतीपात
चन्द्र राशि कर्क
सूर्य राशि कर्क
अभिजीत मुहूर्त - 12:07 दोपहर – 12:59 दोपहर
विजय मुहूर्त 02:18 दोपहर से 03:11 दोपहर
निवास और शूल
होमाहुति सूर्य
दिशा शूल पश्चिम
अग्निवास पृथ्वी - 01:21 रात्रि , जुलाई 30 तक उपरांत आकाश
चन्द्र वास उत्तर
राहु वास दक्षिण-पूर्व
शिववास श्मशान में - 01:21 रात्रि , जुलाई 30 तक उपरांत गौरी के साथ
शुक्रवार 29 जुलाई 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 3:50 PM – 5:28 PM
कुलिक - 7:38 AM – 9:16 AM
दुर्मुहूर्त - 08:37 AM – 09:29 AM, 12:59 PM – 01:51 PM
वर्ज्यम् - 11:53 PM – 01:38 AM
ब्रह्म योग
ज्योतिष शास्त्र में 27 शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। ये पंचांग के 5 अंगों में से एक है। इनमें से पच्चीसवें योग का नाम ब्रह्म है। ये योग बहुत ही शुभ माना गया है। जब किसी की कुंडली में गुरु और शुक्र 9 वें और 11 वें भावों में होते हैं तो ये योग बनता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये होता है वो आध्यात्मिक या धार्मिक गुरु होता है। ऐसा व्यक्ति वैराग्य की राह पर चलता हुआ अपने शिखर तक पहुंचता है। ये लोगों के लिए प्रेरणा होते हैं।