आज का पंचांग 21 सितंबर 2022, बुधवार आश्विन कृष्ण पक्ष, एकादशी, एकादशी श्राद्ध, इन्दिरा एकादशी

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग 21 सितंबर 2022, बुधवार
21 सितंबर 2022, दिन बुधवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 11:34 रात्रि तक रहेगी। बुधवार को सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा, जो 11:47 रात्रि तक रहेगा। बुधवार को परिघ योग बनेगा जो अशुभ माना जाता है यह 09:13 प्रातः तक रहेगा । इसके बाद शिव योग है जो सभी कामों में शुभ मान्य है । इस दिन राहुकाल 11:51 दोपहर से 01:22 दोपहर तक रहेगा।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
बुधवार को चंद्रमा मिथुन राशि से निकलकर कर्क में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य और बुध कन्या राशि में, शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि निकलना पड़े तो गुड़ खाकर यात्रा पर जाना चाहिए।
21 सितंबर 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- बुधवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- पुनर्वसु
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 05:46 प्रातः
सूर्यास्त - 05:56 सायं
चन्द्रोदय - 02:15 रात्रि , सितम्बर 22
चन्द्रास्त - 03:26 दोपहर
तिथि एकादशी - 11:34 रात्रि तक उपरांत द्वादशी
नक्षत्र पुष्य - 11:47 रात्रि तक उपरांत अश्लेशा
योग परिघ - 09:13 प्रातः तक उपरांत शिव
अभिजीत मुहूर्त- कोई नहीं
अमृत काल 04:40 सायं से 06:27 सायं
21 सितंबर 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 07:17 प्रातः से 08:48 प्रातः
गुलिक काल 10:20 प्रातः से 11:51 दोपहर पूर्व तक
दुर्मुहूर्त - 11:27 दोपहर पूर्व से 12:15 दोपहर
वर्ज्यम् - 06:00 प्रातः से 07:47 प्रातः
गण्ड मूल 11:47 रात्रि से 05:46 प्रातः , सितम्बर 22
निवास और शूल
होमाहुति राहु - 11:47 रात्रि तक उपरांत केतु
दिशा शूल उत्तर
चन्द्र वास उत्तर
अग्निवास पृथ्वी
राहु वास दक्षिण-पश्चिम
शिववास कैलाश पर - 11:34 रात्रि तक उपरांत नन्दी पर
क्या होती है तिथि?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग के 5 अंग होते हैं- तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र। तिथि को हम हिंदी कैलेंडर की तारीख मान सकते हैं। तिथि की बात की जाए तो चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। तिथि कुल 16 होती है। इनमें प्रतिपदा से चतुर्दशी तक की तिथि दोनों पक्षों (शुक्ल व कृष्ण) में समान होती है। सिर्फ अंतिम तिथि अलग-अलग होती है। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है।
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