मंगलवार को दिनभर रहेगा चंद्र ग्रहण का सूतक : सूर्य देव को जल न चढ़ाएं और पूजा न करें, जानें ग्रहण के बाद दीपदान कब करें 

मंगलवार को दिनभर रहेगा चंद्र ग्रहण का सूतक : सूर्य देव को जल न चढ़ाएं और पूजा न करें, जानें ग्रहण के बाद दीपदान कब करें

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 
 
8 नवंबर (मंगलवार) को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण हो रहा है। भारत की पूर्व दिशा के शहरों में पूर्ण चंद्र ग्रहण और बाकी शहरों में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा। ग्रहण की शुरुआत दोपहर 2.38 बजे होगी और शाम को 4.23 से ईटानगर में चंद्रोदय के साथ ही ग्रहण दिखने लगेगा। ग्रहण 6.19 बजे खत्म हो जाएगा।

6.19 बजे के बाद उपछाया चंद्र गहण शुरू होगा जो कि 7.26 तक रहेगा। उपछाया ग्रहण की धार्मिक मान्यता नहीं होती है। ग्रहण की वजह से देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित शुभ कामों के लिए कुछ खास बातें ध्यान रखनी होंगी।

जानिए देव दीपावली पर दीपदान कैसे और कब करें, ग्रहण वाले दिन कौन-कौन सी सावधानियां रखनी होंगी, चंद्र ग्रहण के बाद घर में शुद्धिकरण कैसे करें, खाने-पीने की चीजों को लेकर किन बातों का ध्यान रखना है...

ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी के मुताबिक चंद्र ग्रहण भारत में दोपहर 2.38 बजे शुरू होगा। देश के पूर्वी भाग कोलकाता, कोहिमा, पटना, पुरी, रांची, ईटानगर के आसपास के शहरों में पूर्ण चंद्र ग्रहण और शेष भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा। जहां पूर्ण ग्रहण रहेगा, वहां चंद्रमा लाल दिखाई देगा।

चंद्र ग्रहण का सूतक कब से लगेगा?

सूतक के संबंध में ज्योतिषाचार्य का कहना है कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले सुबह 5.38 बजे से शुरू हो जाएगा।

देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा से जुड़े शुभ काम कब करें?

कार्तिक पूर्णिमा 7 नवंबर की शाम करीब 4:40 बजे शुरू होगी, जो कि अगले दिन यानी 8 तारीख की शाम तक रहेगी। इस वजह से दो दिन देव दीपावली है। 7 नवंबर की शाम को दीपदान कर सकते हैं। अगर 8 नवंबर को दीपदान करना चाहते हैं तो ग्रहण खत्म होने तक इंतजार करना होगा। 6.19 बजे ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें और फिर दीपदान करें। दान-पुण्य दोनों दिन कर सकते हैं। भगवान सत्यनारायण की कथा करना चाहते हैं तो 7 नवंबर को कर सकते हैं।

दीपदान कैसे करें?

आमतौर पर दीपदान नदी किनारे किए जाते हैं। कुछ लोग दीप जलाकर नदी में प्रवाहित भी करते हैं। इसे ही दीपदान कहते हैं। दीपदान करने से पहले दीपक की पूजा करनी चाहिए और फिर नदी किनारे रखें। अगर घर में दीपदान करना चाहते हैं तो दीपक जलाएं, पूजा करें और घर के आंगन में रखें।

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