साइप्रस में ओमिक्रॉन व डेल्टा से मिलकर बने नए कोरोना वैरिएंट का पता चला , डेल्टाक्रॉन नाम दिया गया 

A new corona variant consisting of Omicron and Delta was discovered in Cyprus, named 'DeltaCron'

साइप्रस यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान के प्राध्यापक लियोन्डियोस कोस्ट्रिक्स का इसे ‘डेल्टाक्रॉन’ नाम दिया गया है,

क्योंकि इसके ओमिक्रॉन जैसे आनुवंशिक लक्षण हैं और डेल्टा जैसे जीनोम हैं। रिपोर्ट के अनुसार साइप्रस में

डेल्टाक्रॉन के अब तक 25 मरीज पाए गए हैं। हालांकि यह वैरिएंट कितना घातक है और इसका क्या असर होगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी।

Newspoint24/संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ

नई दिल्ली। साइप्रस से खबर है कि वहां ओमिक्रॉन व डेल्टा से मिलकर बने नए कोरोना वैरिएंट का पता चला है। ओमिक्रॉन अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला कोरोना वैरिएंट बताया गया है, जबकि डेल्टा ने पिछले साल कई देशों में कहर बरपाया था। ऐसे में इनके मिले-जुले नए वैरिएंट के क्या खतरे होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।


ब्लूमबर्ग न्यूज ने खबर दी है कि साइप्रस के एक शोधार्थी ने इस नए स्ट्रैन का पता लगाया है, जिसके ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट का सम्मिलित रूप होने का दावा किया गया है।

 
साइप्रस यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान के प्राध्यापक लियोन्डियोस कोस्ट्रिक्स का इसे ‘डेल्टाक्रॉन’ नाम दिया गया है, क्योंकि इसके ओमिक्रॉन जैसे आनुवंशिक लक्षण हैं और डेल्टा जैसे जीनोम हैं। रिपोर्ट के अनुसार साइप्रस में डेल्टाक्रॉन के अब तक 25 मरीज पाए गए हैं। हालांकि यह वैरिएंट कितना घातक है और इसका क्या असर होगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी।

 
डेल्टाक्रॉन वैरिएंट ऐसे समय आया है जबकि ओमिक्रॉन वैरिएंट समूची दुनिया में कोविड-19 के ताजा मामलों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह बनकर उभरा है। अमेरिका में पिछले सात दिनों में रोजाना औसत रूप से 6 लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिल रहे हैं। शुक्रवार को जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने कहा कि पिछले सप्ताह की तुलना में 72 फीसदी मामले बढ़े हैं। यह महामारी के दौर का एक रिकॉर्ड है।


कोस्ट्रिक्स ने कहा कि हम पता लगाएंगे कि क्या यह स्ट्रेन अधिक पैथोलॉजिकल या अधिक संक्रामक है और क्या यह पूर्व के दो मुख्य स्ट्रेन से ज्यादा असरकारी होगा। सिग्मा टीवी के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन डेल्टाक्रॉन से ज्यादा संक्रामक नजर आ रहा है। इन शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के नतीजे संक्रमण के आंकड़ों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय डाटा बेस ‘जीआईएसएड’ को भेजे हैं।

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