यूपी में धारा 506 (आपराधिक धमकी ) संज्ञेय व गैर जमानती अपराध : हाईकोर्ट

Virtual hearing in Allahabad High Court from tomorrow

Newspoint24/संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ

 पुलिस के चार्जशीट दाखिल करने पर कम्प्लेन्ट केस चलाने की अर्जी खारिज

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दाखिल अर्जी निस्तारित करते हुए कहा है कि यूपी में धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अन्तर्गत कारित अपराध संज्ञेय व गैर जमानती घोषित है। ऐसे में इस धारा के अन्तर्गत पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने पर केस का विचारण (ट्रायल) संज्ञेय अपराध के रूप में ही होगा, न कि बतौर कम्प्लेन्ट केस।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने बांदा के राकेश कुमार शुक्ल की धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दाखिल अर्जी निस्तारित करते हुए दिया है।

मामले के अनुसार पीड़ित (शिकायत कर्ता) ने धारा 156(3) दंप्रसं के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी देकर कहा था कि याची राकेश कुमार शुक्ल ने उस फायर किया और जब एरिया के कई लोग आ गये तो जान से मारने की धमकी देता हुआ भाग गया। सीजेएम बांदा के आदेश से मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने विवेचना में फायर करने (धारा 307) को झूठा मानते हुए हटा दिया, परन्तु धारा 504 व 506 भादंसं के अंतर्गत याची के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। शुरू में याची के खिलाफ मुकदमा धारा 307, 504 व 506 भादंसं के अंतर्गत दर्ज था।

याचिका में कहा गया था कि चूंकि चार्जशीट केवल धारा 504, 506 में लगी है और दोनों असंज्ञेय अपराध है, इस कारण यह केस बतौर कम्प्लेन्ट केस ही चल सकता है। हाईकोर्ट ने याची के इस दलील को सही नहीं माना और कहा कि यूपी में 31 जुलाई 1989 की अधिसूचना से गवर्नर ने धारा 506 आईपीसी को संज्ञेय व गैर जमानती घोषित कर दिया है, तो अब यह अपराध यूपी में असंज्ञेय नहीं रहा।

यद्यपि हाईकोर्ट ने आदेश में उल्लेख किया है कि दंप्रसं के प्रथम अनुसूची में धारा 506 आईपीसी अंसंज्ञेय अपराध के रूप में है, परन्तु गवर्नर की घोषणा के बाद अब संज्ञेय अपराध हो गया है। कोर्ट ने कहा कि दंप्रसं की धारा 155(4) कहता है कि दो में से एक भी अपराध संज्ञेय की श्रेणी में है तो बचे असंज्ञेय केस का भी ट्रायल संज्ञेय अपराध के रूप में ही होगा।

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