ती​र्थ पुरोहितों का शीर्षासन : देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग तेज हुई उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों का घेरा 

Heading of pilgrimage priests: The demand for dissolution of the Devasthanam board intensified, the circle of ministers of the Uttarakhand government

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि वे ‘चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत’ के बैनर

तले सात दिसंबर से गैरसैंण में शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के

शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा भवन का भी घेराव करेंगे।

Newspoint24/ संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ 

देहरादून। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर अपने आंदोलन को और धार देते हुए चारों धामों के ती​र्थ पुरोहितों ने मंगलवार को उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों के आवासों का घेराव किया।

उन्होंने देवस्थानम बोर्ड के गठन के प्रावधान वाले अधिनियम को वापस लेने के लिए राज्य सरकार पर दवाब बनाने के वास्ते मुख्य रूप से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के आवास के बाहर धरना दिया तथा ‘शीर्षासन’ भी किया।

इस दौरान उनियाल अपने घर से बाहर आए और पुरोहितों से बातचीत की। उन्होंने पुरोहितों से 30 नवंबर तक इंतजार करने को कहा ​और संकेत दिया कि इसके बाद इस संबंध में कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में 2019 में गठित चारधाम देवस्थानम बोर्ड का चारों धामों-बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित शुरू से ही विरोध कर रहे हैं और इसे भंग किए जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। उनका मानना है कि बोर्ड का गठन उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन है।

सात दिसंबर से गैरसैंण में शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा भवन का भी घेराव

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि वे ‘चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत’ के बैनर तले सात दिसंबर से गैरसैंण में शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा भवन का भी घेराव करेंगे।

उन्होंने कहा कि वे यहां 27 नवंबर को ‘काला दिवस’ मनाते हुए विरोध मार्च भी करेंगे। इसी दिन राज्य मंत्रिमंडल ने देवस्थानम बोर्ड के गठन को अपनी मंजूरी दी थी। इस दौरान यहां गांधी पार्क से लेकर राज्य सचिवालय तक ‘आक्रोश रैली’ भी निकाली जाएगी।

यहां राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के अलावा केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद तीर्थ पुरोहितों को अपनी मांग पूरी होने की आस बंधी है और इसी के चलते उन्होंने अपना आंदोलन तेज कर दिया है।

इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे के समाधान के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था। यह समिति अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है।

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