जलवायु परिवर्तन का असर अगले कुछ सालों में डूब सकता है मुंबई का 70 फ़ीसदी हिस्सा

  जलवायु परिवर्तन का असर अगले कुछ सालों में डूब सकता है मुंबई का 70 फ़ीसदी हिस्सा
वडाला और शिवडी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विदेशों से स्थलांतरित होकर फ्लैमिंगो पक्षी आते हैं। उनके संरक्षण के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के निदेशक द्वारा महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों के प्रवासी पक्षियों के स्थलांतर मार्गों का अध्ययन करने के लिए प्रस्तुत एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है ।

newspoint 24 / newsdesk / एजेंसी इनपुट के साथ

मुंबई। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का बढ़ रहा जलस्तर और पर्यावरण सुरक्षा अहम मसला बन गया है। कभी कम बारिश तो कभी बाढ़ तो कहीं बेमौसम बारिश। मौसम के बदलते रूप को देखकर वैज्ञानिकों ने भी हैरानी जताई है। ऐसे हालात में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने भविष्य के जलवायु परिवर्तन के खतरे का स्थाई हल निकालने पर बल दे रहे हैं। वडाला के भक्ति पार्क में मैन्ग्रोव अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने अनुमति प्रदान कर दी है। यह केंद्र 10 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। वर्ष 2021-22 के लिए 30 करोड़ रुपए के बजट और मैन्ग्रोव प्रतिष्ठान द्वारा क्रियान्वित विभिन्न गतिविधियों के लिए 25 करोड़ रुपए के खर्च को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है। इसी परिपेक्ष्य में एमएमआरडीए ने एमटीएचएल परियोजना के तहत मैन्ग्रोव अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, जिसमें से भक्ति पार्क, वडाला में मैन्ग्रोव अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए मे. टंडन अर्बन सॉल्यूशंस प्रा. लिमिटेड इस कंपनी का चयन किया गया है।

राज्य सरकार को शिकायतें मिल रही है कि मैंग्रोव क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया जा रहा है। अब मैंग्रोव क्षेत्रों पर सीसीटीवी कैमरे की नजर होगी। समुद्री लहरों के बचाव के लिए मैन्ग्रोव वन क्षेत्र बचाव का काम करता है। बड़े पैमाने पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानें तो समुद्र का जलस्तर बढ़ने से कई इलाके दल दल के रूप में तब्दील हो रहे हैं। समुद्र के बढ़ रहे जलस्तर को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि यदि स्थितियां इसी तरह बढ़ती रही तो अगले कुछ सालों में बड़ी समस्या निर्माण हो सकती है। कई तटीय इलाके समुद्र के पानी के चपेट में होंगे। वैज्ञानिकों ने शोध के आधार पर आशंका जताई है कि जलवायु में बदलाव, विनाशकारी चक्रवात और पूर्व-मौसमी बारिश को देखते हुए, मुंबई के कुछ हिस्से वर्ष 2050 तक 70 प्रतिशत पानी में डूब जाएंगे। इसलिए उन दिनों की प्रतीक्षा किए बिना अभी से निवारक उपाय करने की आवश्यकता है। इसे लेकर मुंबई मनपा के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने भी चिंता जताई है।

संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) संस्था ने जलवायु परिवर्तन पर एक रिपोर्ट पेश की है। मानसून, ठंडी, गर्मी और मौसम के बदलाव का असर विश्व ही नहीं बल्कि देश और राज्य पर भी पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन का अध्ययन और उसके खतरे को रोकने के लिए राज्य में स्टेट काउंसिल फॉर क्लाइमेट चेंज परिषद की स्थापना की गई है। जलवायु परिवर्तन कि इन स्थितियों से निपटने के लिए सुझाव देने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की उपाध्यक्षता में इस परिषद का गठन किया गया है।

वडाला और शिवडी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विदेशों से स्थलांतरित होकर फ्लैमिंगो पक्षी आते हैं। उनके संरक्षण के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के निदेशक द्वारा महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों के प्रवासी पक्षियों के स्थलांतर मार्गों का अध्ययन करने के लिए प्रस्तुत एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इस परियोजना की अवधि पांच वर्ष है। इसके लिए मैन्ग्रोव फाउंडेशन और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर करार किया गया है।

मुंबई मनपा और एमएमआरडीए ने संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन पर एक कार्य योजना तैयार की है। पिछले 31 साल पर गौर करें तो मुंबई सहित राज्य के किसी भी भयंकर चक्रवाती तूफान नहीं आया। तौकते चक्रवात ने गंभीर नुकसान पहुंचाया। 6 अगस्त 2020 को मुंबई के नरीमन पॉइंट, साउथ मुंबई में चक्रवात के साथ हुई बारिश के कारण करीब साढ़े पांच फीट पानी जमा हो गया। हवा की गति 120 किमी प्रति घंटे थी।

वर्ष 1990 से 2010 तक ऐसा लग रहा था कि जलवायु बदल रही है। लेकिन उस समय कोई उपाय नहीं किया गया। लेकिन अब संकट हमारे दरवाजे पर आ गया है। वर्तमान जलवायु परिवर्तन और अनिश्चित वर्षा को देखते हुए, 2050 तक मुंबई मनपा के चार वार्ड ए, बी, सी और डी पर खतरा मंडरा रहा है। समुद्र के बढ़ रहे जलस्तर के कारण इन क्षेत्रों के 70 प्रतिशत हिस्से पानी के नीचे हो जाएंगे। कफ परेड, मंत्रालय, नरीमन प्वाइंट का 25 फीसदी हिस्से खतरे के दायरे में है। इसके अलावा तटीय क्षेत्र की रहवासी कॉलोनियां भी डूब सकती हैं।

शिवसेना विधायक मनीषा कायंदे ने बताया कि राज्य सरकार और मुंबई मनपा ने भविष्य को खतरे को भांपते हुए बेहद ही सराहनीय कदम उठाया है। यदि बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से बचना है तो मैन्ग्रोव को बचाना बेहद जरूरी है। हमारे सामने खतरे मंडरा रहे हैं, आनेवाले 20-30 वर्षों में मुंबई के 70 फीसदी हिस्से समुद्र के पानी में डूब सकते हैं। इसलिए अभी से खतरे से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। स्थानीय नगरसेवक मंगेश साटम के अनुसार मैन्ग्रोव क्षेत्र का संरक्षण हमारा पहला कर्तव्य है। इसके अलावा हम पर्यावरण सुरक्षा के लिए विशेष व्यापक योजनाओं पर जोर दे रहे हैं।

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