चीन ​के दुश्मन ​वियतनाम ​को भारत ​देगा ​​ब्रह्मोस मिसाइल

Newspoint24.com/newsdesk/ चीन और पाकिस्तान को जवाब है भारत-वियतनाम की दोस्ती का गाढ़ा रंगदक्षिण सागर में क्रूज मिसाइल से चीन को काबू में लाना चाहता है वियतनाम नई दिल्ली । चीन-पाकिस्तान को जवाब देने के लिए अब भारत और वियतनाम की दोस्ती भी अब गाढ़ी होने लगी है। दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की बढ़ती दादागीरी
 

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चीन​ और ​पाकिस्‍तान को जवाब है भारत-वियतनाम ​की ​दोस्‍ती​​ ​का गाढ़ा रंग
दक्षिण सागर में​​ ​क्रूज​ ​मिसाइल​ से चीन को ​काबू में लाना चाहता है वियतनाम

नई दिल्ली । ​चीन-पाकिस्‍तान को जवाब देने के लिए अब भारत और वियतनाम की दोस्ती भी अब गाढ़ी होने लगी है। दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की बढ़ती दादागीरी के बीच भारत और व‍ियतनाम के बीच रक्षा संबंध और ज्‍यादा मजबूत हो रहे हैं। यह दोस्‍ती कुछ उसी तरह से आगे बढ़ रही है जैसे भारत को घेरने के ल‍िए चीन और पाकिस्‍तान एक साथ आ गए हैं। वियतनाम भारत की सबसे खतरनाक ​ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहता है। इस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर बनाया है, इसलिए रूस की सहमति न होने से यह मिसाइल किसी भी तीसरे देश को नहीं दी जा रही थी। अब रूस ने इस मिसाइल के निर्यात की अनुमति दे दी है, इसलिए वियतनाम को ब्रह्मोस मिलने के बाद दक्षिण चीन सागर में चीन को थो़ड़ा संभलकर रहना होगा।

भारत और रूस के सहयोग से विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। रूसी सरकार ने भारत के साथ मिलकर बनाई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस किसी तीसरे देश को निर्यात करने की अनुमति दे दी है। ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट में रूस की 50 फीसदी की हिस्सेदारी थी, इसलिए मिसाइल के निर्यात के लिए उसकी अनुमति जरूरी थी। रूस ने इसके साथ 100 रक्षा कंपनियों की सूची भी जारी की है जो भारत के साथ ब्रह्मोस जैसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती हैं। निर्यात की अनुमति मिलने से पहले ही फिलीपींस, वियतनाम, मिस्र और ओमान सहित कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में बहुत रुचि दिखाई है। अब रूस से ब्रह्मोस के निर्यात की अनुमति ऐसे समय मिली है जब चीन के पड़ोसी देश वियतनाम से भारत की दोस्ती का रंग गाढ़ा हो रहा है।

वियतनाम पहले ही भारत से ब्रह्मोस और आकाश एयर डिफेंस मिसाइलें लेना चाहता है। मौजूदा समय में चीन के साथ चल रही खटपट के बीच वियतनाम भारत से यह दो हथियार लेकर दक्षिण चीन सागर में तैनात करना चाहता है। अब यह डील फाइनल हुई तो दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के इलाके में चीन का खौफ कम होगा और साथ ही वियतनाम के साथ भारत के संबंध और मजबूत होंगे। चीन से परेशान तटीय देशों ने करीब एक दशक पहले ही भारत से ब्रह्मोस मिसाइल देने का आग्रह किया था लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। इस बीच चीन ने भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि को कई तरह के संवेदनशील हथियार देकर भारत की सुरक्षा पर आंच डाली है, लेकिन अब भारत ने भी चीन के दुश्मन देशों को ब्रह्मोस देकर ‘जैसे को तैसा’ वाली नीति अपना ली है।

वियतनाम ​ने भारत के साथ ​आकर यह जताने की कोशिश की है कि वह खुद भी सा​​उथ चाइना सी में मुक्‍त आवागमन ​की भारत ​की भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंधों की मजबूती ठीक समय पर चीन को संदेश देगा। ​एक तरह से ​भारत और‍ वियतनाम की दोस्‍ती चीन और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते का जवाब है। जिस तरह से चीन और पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ ​दोस्ती गांठकर सैन्‍य कदम उठाते हैं, उसी तरह ​अब भारत और वियतनाम एक-दूसरे को ड्रैगन के खिलाफ जानकारी देने लगे हैं। ​

इधर चीन और पाकिस्‍तान ​हिन्द ​महासागर में अपनी​ स्थिति मजबूत ​करना चाहते हैं तो उसी तरह वियतनाम ​​और ​भारतीय नौसेना दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थित‍ि बढ़ा​ने की चाहत रखते हैं।​ ​रूसी हथियारों पर काफी हद तक निर्भर ​भारत और वियतनाम आपस में चीनी नौसेना के बारे में खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। भारत ​तेल ​के ​क्षेत्र में​ ​वियतनाम ​की ​मदद कर​के दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस निकालने में अपनी भूमिका को और ज्‍यादा बढ़ा सकता है।