वाराणसी के विजय यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जूडो में देश को कांस्य पदक दिलाया 

 

विजय यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जूडो में देश को कांस्य पदक दिलाया है। पदक वाली बात जब बनारस में उनके माता-पिता के पास पहुंची तो उनकी आंखों से खुशिंयों के आंसू बहने लगे।

रात के 10 बजे मोबाइल की घंटी से उनके पिता दशरथ यादव की नींद टूटी और खबर सुनने के बाद तो उनके पांव जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। 

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

(vijay yadav - फोटो : newspoint24)

 वाराणसी। विजय यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जूडो में देश को कांस्य पदक दिलाया है। पदक वाली बात जब बनारस में उनके माता-पिता के पास पहुंची तो उनकी आंखों से खुशिंयों के आंसू बहने लगे। रात के 10 बजे मोबाइल की घंटी से उनके पिता दशरथ यादव की नींद टूटी और खबर सुनने के बाद तो उनके पांव जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। आंखें छलक रही थीं और सीना गर्व से चौड़ा हो गया और बरबस ही उनके मुंह से निकला मेरे लाल का कांस्य देश के माथे पर सोने से भी तेज चमक रहा है।

(विजय की मां - फोटो : एएनआई)

बहुत खुशी हो रही है..ये कहते मां की आंखें भर आईं
बेटे के पदक पर उनकी मां चिंता देवी ने कहा- 'बहुत खुशी हो रही है। मेरा बेटा बचपन से ही बहुत मेहनत करता आया है। वे ऐसे ही बहुत आगे बढ़े और देश का और हमारा नाम रोशन करे'

 

(विजय के पिता - फोटो : एएनआई)

वो कभी पैदल, साइकिल से आता-जाता था, मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है
वहीं, विजय के पिता दशरथ यादव ने भी अपने भाव व्यक्त किए- 'पहले मैं लोहे के कारखाने में काम करता था लेकिन पैरालिसिस होने के बाद मैंने वो काम छोड़ दिया और अब मैं गाड़ी चलाकर अपने परिवार का जीवन चला रहा हूं। मेरे दो बच्चे हैं, सरकार हमारी मदद करे तब हमारे लड़के आगे बढ़ पाएंगे। शुरुआत बहुत कठिन थी, वो कभी पैदल, साइकिल से आता-जाता था, मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है। उसने 2 एशियन और 4 नेशनल में स्वर्ण पदक जीता है। वह करीब 2015 से नेशनल में स्वर्ण पदक जीत रहा है। 

(विजय के गांव में खुशियों का माहौल - फोटो : एएनआई)

विजय के गांव में त्योहार जैसा माहौल 
सुलेमापुर गांव के लिए विजय का कांस्य जीतना किसी त्योहार से कम नहीं था। गांव भर में विजय के जीत की सूचना जैसे ही फैली, गांव वाले भी गौरवान्वित हो उठे।

(विजय के माता-पिता - फोटो : एएनआई)

हमारा बेटा तो लंबे समय से देश के लिए तपस्या कर रहा था
पिता दशरथ यादव और मां चिंता देवी ने कहा कि मेरा बेटा तो लंबे समय से देश के लिए तपस्या कर रहा था। आज बेटे की तपस्या सफल हो गई और उसको फल मिल गया। यह तो अभी शुरुआत है, उसको अभी और आगे जाना है।

यह भी पढ़ें : Commonwealth Games 2022 : 92 साल के इतिहास में पहला मौका महिला लॉन बॉल्स में टीम इंडिया को गोल्ड ,भारत ने चौथा गोल्ड जीता