अयोध्या : हाई प्रोफाइल तपस्वी छावनी के महंती का विवाद अब न्यायालय की चौखट पर, मामले में तीन संतों ने ठोंकी दावेदारी  

 

गर्मा -गर्मी के बीच संतों ने सर्वमान्य हल निकाला कि न्यायालय जिसे तय करेगा उसे तपस्वी छावनी की गद्दी सौप दी जाएगी। तभी महंती समारोह आयोजित होगा। तब तक मंदिर में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी ।

13 वीं का भंडारा 12 तारीख को है। जिसमे 200 स्थानीय संत -महंत शामिल होने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी है। इस भंडारे में सभी दावेदार संत सामूहिक रूप से योगदान देंगे। इसके बाद महंत का फैसला आने के बाद बृहद भंडारे की अनुमति दी जाएगी।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
 
अयोध्या। हाई प्रोफाइल तपस्वी छावनी के महंती का विवाद अब न्यायालय की चौखट पर पंहुच गया है। पिछले दिनों मंहत सर्वेश्वर दास के निधन के बाद से ही गद्दीनशीन होने की जंग शुरू हो गई थी। मामले में तीन संत खुल कर अपने को प्रमुख दावेदार बता कर मैदान में खम ठोकते देखे गए। दावेदारी के इस अखाड़े में अयोध्या के प्रमुख संतो ने गुटों में बंट कर मोर्चा संभाल लिया। मामला कोई हिंसक रूप न ले इसलिए सभी पक्षों के संतो की एक बैठक रामकथा संग्रहालय में जिला प्रशासन ने बुलाई। बैठक में डीएम और एसएसपी सहित संत- महंत उपस्थित थे। इससे पहले जिला प्रशासन ने अयोध्या के प्रमुख जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके मन को भी टटोला। जिसमे सभी जनप्रतिनिधियों ने नियम कानून से हल निकालने की बात कही।

न्यायालय का फैसला आने तक यथा स्थिति बनाए रखने की बात
गर्मा -गर्मी के बीच संतों ने सर्वमान्य हल निकाला कि न्यायालय जिसे तय करेगा उसे तपस्वी छावनी की गद्दी सौप दी जाएगी। तभी महंती समारोह आयोजित होगा। तब तक मंदिर में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी ।13 वीं का भंडारा 12 तारीख को है। जिसमे 200 स्थानीय संत -महंत शामिल होने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी है। इस भंडारे में सभी दावेदार संत सामूहिक रूप से योगदान देंगे। इसके बाद महंत का फैसला आने के बाद बृहद भंडारे की अनुमति दी जाएगी।

इन संतो ने महंत पद पाने के लिए की है दावेदारी ,सबके अपने -अपने तर्क
तीन दावेदार हैं। जिसमे तपस्वीपरिवराचार्य पीठ तपस्वी जी की छावनी की सभा ने जगन्नाथ मंदिर जमालपुर दरवाजा अहमदाबाद के महंत दिलीप दास को उत्तराधिकारी घोषित किया है । तपस्वी छावनी से ही अपने आंदोलनो के माध्यम से मीडिया में  सुर्खियां बटोरने वाले परमहंसाचार्य (परमहंस दास) को पहले ही गद्दी का महंत बनाया जा चुका है ये उनका दावा है। इसके बाद औलिया बाबा हैं। जो सभी पक्षों के दावे को हवा हवाई बता रहें हैं। इनका कहना 2013 से तपस्वी छावनी के महंत के रूप में सभी परिसंपत्तियों के वे ही मालिक हैैं।

महंत बलरामदास ने कहा कि परमहंसाचार्य सनातन धर्म के लिए सतत संघर्षशील रहते हैं। इसलिए तपस्वी छावनी के स्वामित्व के लिए उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता है। संकटमोचन सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष व महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने कहा कि परमहंसाचार्य सनातन धर्म की परंपरा, आदर्शों को बखूबी निभा रहे हैं। हमारी अपील है कि हनुमानगढ़ी के साथ संपूर्ण वैष्णव समाज के लोग एक छत के नीचे आकर परमहंसाचार्य को महंती दें। जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि मुझ पर तपस्वी छावनी छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है।

संतों के आदेश का अनुपालन अंतिम सांस तक करता रहूंगा। इस मौके पर हरिद्वारी पट्टी के महंत मुरली दास, उज्जैनिया पट्टी से जुड़े महंत नंदराम दास, महंत सरोज दास, महंत कृष्णकुमार दास, महंत ज्ञानदास के शिष्य हेमंत दास, गद्दीनशीन के शिष्य मामा दास, महंत सत्यदेव दास, पहलवान इंद्रदेव दास, पहलवान राजेश दास सहित सैकड़ों की संख्या में नागा साधु मौजूद रहे।

वहीं दूसरी तरफ तपस्वी छावनी मंदिर ट्रस्ट परमहंसाचार्य के विरोध में है। ट्रस्ट का दावा है कि जो ट्रस्ट की डीड है उसके तहत परमहंसाचार्य महंती पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं। वैद्यजी मंदिर में सोमवार को ही मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बैठक कर मीडिया को बताया कि महंत चुनने का अधिकार ट्रस्ट को है। यह दिगंबर अखाड़ा से संबद्ध स्थान है। हनुमानगढ़ी को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

ट्रस्ट ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीप दास को तपस्वी छावनी मंदिर का महंत चुन लिया गया है। बैठक में ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रमनदासा चार्य, महंत डॉ.रामानंद दास, महंत राजेंद्र दास, महंत परशुरामदास, महंत रामभजन दास सहित अन्य मौजूद रहे।

बैठक में जन्मभूमि के लिए जो नया रास्ता बन रहा है उसका नामकरण रामानंदाचार्य भगवान के नाम पर करने की मांग उठी। महंत संजय दास ने कहा कि रामानंदाचार्य को भगवान श्रीराम का अवतार माना जाता है। इसलिए रामजन्मभूमि जाने वाले मार्ग का नाम रामानंदाचार्य भगवान के नाम पर होना चाहिए। इस मांग का बैठक में उपस्थित सभी संतों ने एक मत से अनुमोदन किया।

 

यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय शिक्षा नीति सक्षम नागरिक के माध्यम से सक्षम समाज और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का मंत्र है : अनिल सहस्रबुद्धे