इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2021 का रिजल्ट रद्द किया  

 

न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने पूर्व सैनिक सतीश चंद्र शुक्ला और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

पूर्व सैनिकों ने याचिका दायर कर पीसीएस 2021 और वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण दिए जाने की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार करते हुए यूपी पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा परिणाम रद्द करने का फैसला सुनाया।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

पूर्व सैनिकों की याचिका पर दिया फैसला, मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की इंटरव्यू प्रक्रिया पर असर पड़ना तय, डबल बैंच में अपील दायर कर सकता है आयोग

 प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी लोकसेवा आयोग को बड़ा झटका देते हुए पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2021 का रिजल्ट रद्द कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2021 प्रारंभिक परीक्षा का नया संशोधित परिणाम पूर्व सैनिकों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के बाद जारी करने को कहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि रिजल्ट जारी होने के बाद सफल हुए पूर्व सैनिक अभ्यर्थियों को एक महीने के अंदर मुख्य परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी किए जाएं।

न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने पूर्व सैनिक सतीश चंद्र शुक्ला और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। पूर्व सैनिकों ने याचिका दायर कर पीसीएस 2021 और वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण दिए जाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार करते हुए यूपी पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा परिणाम रद्द करने का फैसला सुनाया।

आयोग इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर कर सकता है
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश ऐसे समय पर आया है, जब 21 जुलाई से 5 अगस्त तक पीसीएस 2021 में सफल अभ्यर्थियों की इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट के इस आदेश का भर्ती के लिए चल रहे इंटरव्यू पर भी विपरीत असर पड़ना तय है। 630 पदों के सापेक्ष मुख्य परीक्षा में सफल हुए 1285 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। सूत्रों की मानें तो आयोग इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर कर सकता है।

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के बाद राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों को दिए जाने वाले आरक्षण में बदलाव करते हुए पांच प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। इसमें ग्रुप ए और बी को हटा दिया गया था।

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार ने लिखित जवाब में बताया था कि इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है। इसके बाद राज्य सरकार ने आरक्षण अधिनियम में एक और संशोधन करते हुए ग्रुप बी सर्विस को भी आरक्षण के दायरे में ला दिया था। इसकी अधिसूचना 10 मार्च 2021 को गजट में प्रकाशित भी कर दी गई। इसी दौरान 5 फरवरी 2021 को पीसीएस 2021 का विज्ञापन जारी कर दिया गया जिसमें ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 5 मार्च 2021 थी। बाद में इसे 17 मार्च 2021 तक बढ़ा भी दिया गया था।

आरोप-आरक्षण देने से सरकार ने किया था इन्कार
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त होने के पहले अधिसूचना प्रकाशित होने के बावजूद लोक सेवा आयोग ने पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जब 2021 का संशोधन अधिसूचित किया गया उस समय ऑनलाइन फॉर्म भरने का पोर्टल खुला हुआ था जो 17 मार्च 2021 तक खुला रहा।

आरक्षण का लाभ दे सकता था आयोग?
हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग अगर सतर्क होता तो आरक्षण का लाभ ग्रुप बी और सी को दे सकता था क्योंकि यह गजट में 30 मार्च 2021 को ही प्रकाशित हो गया था। कोर्ट ने पूर्व सैनिकों के संदर्भ में पीसीएस 2021 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द करते हुए अब नए सिरे से परिणाम जारी करने का आदेश दे दिया है।

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