पाक अधिकृत कश्मीर के तीन कलस्टर में कई आतंकी कैम्प , एलईटी, जेईएम,अल-बदर और हरकत-उल-मुजाहिदीन कैम्प चला रहे

 

मनशेरा कलस्टर में बोई, बालाकोट, गढ़ी हबीबुल्लाह आतंकी कैम्प स्थित हैं जबकि मुजफ्फराबाद क्लस्टर में चेलाबंदी, शावैनाला, अब्दुल्ला बिन मसूद और दुलाई में आतंक की फैक्ट्री हैं।

पाक सेना की 3 पीओके ब्रिगेड कोटली क्लस्टर के सेंसा, कोटली, गुलपुर, फागोश और दुग्गी कैंपों की गतिविधियों का समन्वय कर रही है।  

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

नई दिल्ली। बालाकोट में मुंह के बल गिरने के बावजूद पाकिस्तान अपनी नापक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत के खिलाफ अब भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवाद की फैक्ट्री को संचालित कर रही है। सीएनएन न्यूज-18 को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक पाक अधिकृत कश्मीर के तीन कलस्टर में कई आतंकी कैम्प चल रहे हैं जिन्हें आईएसआई खाद्य पानी मुहैया करा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ये तीनों कलस्टर मनशेरा, मुज्जफराबाद और कोतली में स्थित हैं। इन तीनों जगहों पर लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), अल-बदर और हरकत-उल-मुजाहिदीन कैम्प चला रहे हैं।  

पाक सेना की 3 पीओके ब्रिगेड कोटली क्लस्टर के सेंसा, कोटली, गुलपुर, फागोश और दुग्गी कैंपों की गतिविधियों का समन्वय कर रही
मनशेरा कलस्टर में बोई, बालाकोट, गढ़ी हबीबुल्लाह आतंकी कैम्प स्थित हैं जबकि मुजफ्फराबाद क्लस्टर में चेलाबंदी, शावैनाला, अब्दुल्ला बिन मसूद और दुलाई में आतंक की फैक्ट्री हैं। पाक सेना की 3 पीओके ब्रिगेड कोटली क्लस्टर के सेंसा, कोटली, गुलपुर, फागोश और दुग्गी कैंपों की गतिविधियों का समन्वय कर रही है।  

आतंकी कैम्प फॉरवार्ड इलाकों में लॉन्च पैड के लिए फीडर के रूप में काम कर रहे हैं
सूत्रों के मुताबिक ये कैम्प मुख्य रूप से फॉरवार्ड इलाकों में लॉन्च पैड के लिए फीडर के रूप में काम कर रहे हैं। यानी यही से लॉन्च पैड पर आतंकियों और उससे संबंधित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। फॉरवार्ड एरिया गुरेज, केल, नीलम घाटी, तंगधार, उरी चकोटी, गुलमर्ग, पुंछ, राजौरी, नौशेरा और सुंदरबनी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब 2-3 किमी के अंदर में हैं। कैंप में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से युवाओं की भर्ती की जाती है और इन्हें हथियारों के इस्तेमाल और आत्मघाती हमले के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक ये सब सर्दी से पहले निकल जाते हैं और श्रीनगर में काम कर रहे ऑवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू-आतंकियों) की निगरानी में रहते हैं।ओजीडब्ल्यू को आईएसआई ड्रोन के माध्यम से हथियार भेजता है।  

कैंप का मकसद मिशन कश्मीर
सीएनएन न्यूज 18 ने हाल ही में एक रिटायर्ड आईएसआई अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि इस कैंप का मकसद मिशन कश्मीर है। यानी पाकिस्तान दोबारा से कश्मीर के मुद्दे को गरमाना चाहता है ताकि इसका उसके लिए महत्व बरकरार रहे। अधिकारी ने बताया कि आईएसआई इस्लामिक स्टेट विलाया हिंद (आईएसएचपी) के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कुछ पाकिस्तान समर्थक लड़ाकों से एक नया गठजोड़ बना रहा है। हालांकि उन्होंने बताया कि टीटीपी का नेतृत्व नए गठजोड़ में शामिल होने के लिए अनिच्छुक है, क्योंकि वे शांति चाहते हैं, लेकिन आईएसआई ‘जिहाद-ए-अज़ीम’ के लिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने पर जोर दे रहा है।  

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