कब है करवा चौथ? जानें , पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व व कथा

 

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 


वाराणसी। हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कई व्रत करती हैं। करवा चौथ इनमें सबसे प्रमुख है। ये व्रत कार्तिक कृष्ण (karva chauth 2022) चतुर्थी पर किया जाता है। इस बार ये तिथि 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। करवा चौथ पर महिलाएं शाम को पहले श्रीगणेश और बाद में चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत पूर्ण करती हैं। इस व्रत का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त, कथा व अन्य खास बातें

करवा चौथ के शुभ मुहूर्त  
पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर, बुधवार की रात 01.59 से 13 अक्टूबर की रात 03.08 तक रहेगा। यानी 13 अक्टूबर को पूरे दिन चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.54 से 07.09 मिनट तक रहेगा। चंद्रमा रात 08.09 मिनट पर उदय होगा। 

इस विधि से करें करवा चौथ व्रत-पूजा  
- 13 अक्टूबर गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूरे दिन निराहार रहें, यानी कुछ भी खाए-पिए नहीं।
- शाम को किसी स्थान पर चौकी लगाएं और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय व भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें। 
- चौकी पर मिट्टी का करवा भी रखें। इस करवे में थोड़ा धान व एक रुपए का सिक्का रखकर इसे लाल कपड़े से ढांक दें। देवताओं की पंचोपचार पूजा करें।
- पूजा के बाद भगवान को लड्डू का भोग लगाएं इसके बाद भगवान श्रीगणेश की आरती करें।  जब चंद्रमा उदय हो जाए तो चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें। 
- इसके बाद अपने पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें तिलक भी लगाएं। पति की माता को अपना करवा भेंट कर आशीर्वाद लें।
- यदि अगर सास न हो तो परिवार की किसी अन्य सुहागन महिला को करवा भेंट करें। इसके बाद परिवार के साथ भोजन करें।

करवा चौथ व्रत की कथा  
  किसी गांव में वेद शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसके सात पुत्र और एक पुत्री थी, जिसका नाम वीरावती था। युवा होने पर वीरावती का विवाह विधि-विधान के साथ कर दिया गया।
  विवाह के बाद वीरावती ने बड़े प्रेम से करवा चौथ का व्रत किया, लेकिन भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। तब उसके भाइयों ने अपनी लाड़ली बहन पेड़ के पीछे से मशाल का उजाला    दिखाकर कहा कि चांद निकल आया है।
  भाइयों की बात पर विश्वास करके वीरावती ने भोजन कर लिया। ऐसा करने से उसके पति की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से दुखी होकर वीरावती ने अन्न-जल का त्याग कर दिया। 
  उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आई। वीरावती ने जब उनसे अपने दुखों का कारण पूछा तो इंद्रामी ने कह दिया कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा उदय होने से पहले ही तुमने व्रत तोड़ दिया था,      जिससे तुम्हारी ये दशा हुई है।
  इंद्राणी ने ये भी कहा कि “अबकी बार तुम पुन: करवा चौथ का व्रत करो। मैं उस व्रत के ही पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पति को जीवित करूंगी।” वीरावती ने ऐसा ही किया, जिससे उसका पति   जीवित हो उठा। 
  वीरावती ने अपने पति को जीवित देखकर बहुत प्रसन्न हुई और वैवाहिक सुख भोगने लगी। समय के साथ उसे पुत्र, धन, धान्य और पति की दीर्घायु का लाभ मिला। इस तरह करवा चौथ का     व्रत सुख-समृद्धि देने वाला है।