ज्ञानवापी मामले में 11 अप्रैल को आ सकता है फैसला:वाराणसी कोर्ट में 5 वीं बार टला आदेश, केस ट्रांसफर की मांग पर दायर हुई है याचिका

ज्ञानवापी मामले में 11 अप्रैल को आ सकता है फैसला
आज महिला वादियों को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में एक जैसे 7 मामलों को एक साथ क्लब करने वाले आदेश का काफी इंतजार था। हिंदू पक्ष द्वारा सुनवाई करने की मांग की गई थी। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 22 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आदेश सुनाने के लिए कोर्ट ने 4 तारीखें दी, वहीं सुनवाई पूरी होने में ही कई महीने लग गए। मगर, आज वाराणसी जिला न्यायालय में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना आदेश नहीं सुनाया। अब तक 5 बार आदेश टल चुका है।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

वाराणसी । ज्ञानवापी मामले में आज ट्रांसफर एप्लिकेशन पर वाराणसी न्यायालय का आदेश फिर टल गया है। नई तारीख 11 अप्रैल दे दी गई है। वहीं, अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी के हेट स्पीच को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी कर सुनवाई 14 अप्रैल तक टाल दी गई है।

आज महिला वादियों को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में एक जैसे 7 मामलों को एक साथ क्लब करने वाले आदेश का काफी इंतजार था। हिंदू पक्ष द्वारा सुनवाई करने की मांग की गई थी। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 22 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आदेश सुनाने के लिए कोर्ट ने 4 तारीखें दी, वहीं सुनवाई पूरी होने में ही कई महीने लग गए। मगर, आज वाराणसी जिला न्यायालय में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना आदेश नहीं सुनाया। अब तक 5 बार आदेश टल चुका है।

एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि यदि सभी मामले क्लब हो जाते हैं तो इससे न्यायालय से लेकर वादियों का भी काफी संसाधन और समय बचेगा।

एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि यदि सभी मामले क्लब हो जाते हैं तो इससे न्यायालय से लेकर वादियों का भी काफी संसाधन और समय बचेगा।

एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि जज की व्यस्तता की वजह से केस को फिर से टाल दिया गया है। हमें आश्वस्त किया गया है कि 11 अप्रैल को निश्चित रूप से इसका आदेश आ जाना चाहिए। यदि सभी मामले क्लब हो जाते हैं तो इससे न्यायालय से लेकर वादियों का भी काफी संसाधन और समय बचेगा। त्वरित आदेश और फैसले आएंगे।

एडवोकेट सुभाष नंदन ने कहा कि सभी केस ज्ञानवापी परिसर में राग-भोग और पूजा के अधिकार, कब्जा आदि से जुड़े हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि जिस तरह से परिसर में नमाज अता होती है, ठीक वैसे ही पूजा करने का भी अधिकार हाे। 22 फरवरी को 2 घंटे तक चली बहस और सभी पक्षों की सुनवाई के बाद दलीलों की पत्रावली तैयार कर ली गई। 32 दिन बाद आज आदेश आने की उम्मीद थी।

ट्रांसफर एप्लीकेशन के साथ ही आज भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान द्वारा किरन सिंह विसेन व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मुकदमे की सुनवाई होनी थी। वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के महेंद्र कुमार पांडे करेंगे। वहीं, वकील शिवम गौड़ कोर्ट पहुंचे थे।

अब बात ट्रांसफर एप्लिकेशन की, जिसकी वजह से ज्ञानवापी मामले के कई केस की लंबे समय से पेंडिंग में हैं और इसी केस की वजह से कई दूसरे मामलों को पिछले साल से तारीख पर तारीख मिलती रही...

क्या है ट्रांसफर एप्लीकेशन

श्रृंगार गौरी मामले की चार महिला वादियों ने ज्ञानवापी में पूजा, रागभोग का अधिकार और कब्जा आदि लेकर पिछले साल दिसंबर में ही कोर्ट में अपील की गई थी कि एक नेचर वाले 7 केस को एक साथ क्लब करके सुनवाई की जाए। इसमें 6 सिविल जज सिनियर और 1 केस किरण सिंह की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है।

राखी सिंह ने खुद को इससे अलग कर लिया। वहीं, वादिनी महिलाओं में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक हैं। इनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी हैं। सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई एक साथ होगी तो ही आदेश त्वरित और सटीक आएगा। ये सभी मामले एक जैसे हैं, फिर इनकी सुनवाई क्यों अलग-अलग हो।

जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी राखी सिंह इस पूरे केस से अलग हो गईं हैं। 7 केस को क्लब करने वाले मामले का उन्होंने विरोध भी किया था। इनका मानना है कि ये सभी केस अलग तरीके के हैं। इसमें से किसी में भी आवेदनकर्ता शामिल नहीं हैं। सभी केस का नेचर अलग-अलग है।

कौन से हैं वे 7 मामले ...

  • लक्ष्मी देवी बनाम श्रीआदि विश्वेश्वर
  • लक्ष्मी देवी बनाम मां गंगा
  • लक्ष्मी देवी बनाम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
  • लक्ष्मी देवी बनाम विश्वेश्वर
  • लक्ष्मी देवी बनाम सत्यम त्रिपाठी
  • लक्ष्मी देवी बनाम मां श्रृंगार गौरी
  • लक्ष्मी देवी बनाम नंदी महराज​​​​​

5वीं बार टला आदेश

ट्रांसफर एप्लकेशन का 5वीं बार टाला गया। 22 फरवरी को सुनवाई पूरी हो गई हुई। जिला जज अजय कुमार विश्वेश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आदेश के लिए 1 मार्च की तारीख दी गई। लेकिन, उस दिन प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में कोर्ट का कामकाज ठप कर दिया गया था। उस दिन आदेश नहीं आ सका। इसके बाद जिला जज ने 13 मार्च, 20 मार्च और 22 मार्च को तारीख दी। आदेश न आने की सूरत में 27 मार्च की तारीख दे दी गई।​

वादिनी महिलाओं ने माता श्रृंगार गौरी की हर रोज पूजा और सभी विग्रहों के संरक्षण की मांग उठाई है। वहीं, ज्ञानवापी में एक केस स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी किया है। परिसर में जहां पर कथित शिवलिंग मिलने की बात कही गई है, वहां पर नियमित भोग आरती की मांग से संबधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। कुल केस की संख्या 30 से ज्यादा हैं।

हिंदू पक्ष के 5 बड़े दावे

  • मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।
  • मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।
  • वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।
  • श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।
  • हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि पुराना खराब पड़ा फव्वारा है।

 

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