टिकट कटने के बाद पहली बार वरुण गांधी चुनावी मैदान में : कहा-हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है , न कोई गुस्सा 

Varun Gandhi

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

पीलीभीत । टिकट कटने के बाद पहली बार भाजपा सांसद वरुण गांधी चुनावी मैदान में नजर आए। वह गुरुवार को मां मेनका गांधी की सीट सुल्तानपुर पहुंचे। यहां प्रचार का आज आखिरी दिन है। जनसभा में उन्होंने कहा-हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। न कोई गुस्सा।

तीन बार के सांसद वरुण ने पूरे चुनाव से दूरी बना रखी थी। उन्होंने एक भी रैली नहीं की। न ही कोई बयान दिया। टिकट कटने के बाद एक भी बार पीलीभीत नहीं गए। 27 मार्च को भाजपा ने पीलीभीत से वरुण का टिकट काटकर योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को दिया था।

28 मार्च को वरुण ने पीलीभीत के नाम पत्र लिखा था। कहा था-मैं आम आदमी के लिए राजनीति में आया हूं। यह मैं करता रहूंगा, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

वरुण गांधी तीन बार लगातार सांसद रहे हैं। दो बार पीलीभीत सीट से जबकि एक बार सुल्तानपुर से।

(वरुण गांधी तीन बार लगातार सांसद रहे हैं। दो बार पीलीभीत सीट से जबकि एक बार सुल्तानपुर से।)

 

मां ने सिखाया बड़ा आदमी कौन होता है
वरुण ने मोतिगरपुर के काछाभिटौरा में भाजपा पर तंज कसते हुए कहा- उन्होंने (मेनका गांधी) मुझे सिखाया बड़ा आदमी वो होता है, जिसके साथ कोई अपने को कभी छोटा महसूस न करे। उन्होंने (मेनका) ने बताया ताकत वो होती है जो लोगों को उठाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। उन्होंने कहा हमेशा लोगों की इज्जत करो। लोगों की लड़ाई लड़ो। अगर तुम्हारे पास कोई फोन आए, अगर कोई मिलने आए तो उसे निराश मत करो।

वरुण ने कहा- जब मैं पहली बार सुल्तानपुर आया, लोगों ने मुझसे कहा साहब बहुत जातिवाद है। आज इस गांव में निषाद समाज के लोग हैं, दलित समाज के लोग हैं, ब्राह्मण हैं, क्षत्रिय हैं। लेकिन सारे लोग हमको मिलाकर आशीर्वाद दे रहे हैं।

मां ने पूरे जीवन संघर्ष किया
उन्होंने कहा- मेरी मां ने पूरे जीवन संघर्ष किया। 23 साल की थी जब वे विधवा हुई, मैं 100 दिन का था। उन्होंने पूरा जीवन दुःख झेला। लेकिन उन्होंने न कभी दुःख व्यक्त किया न रोया। मैंने एक दिन उनसे पूछा मां आपका जीवन बहुत मुश्किल भरा रहा। आपने कभी मुझे ये नहीं कहा, बेटा मैं बहुत कष्ट में रही हूं। इस पर मां ने कहा, बेटा हमारे देश के लोग इतने संघर्ष में 24 घंटे होते हैं, भगवान ने हमको एक नाम दिया है, भगवान ने हमको एक मौका दिया है। हम अपने बारे में सोचें इससे छोटी बात क्या हो सकती है।

मैं अपनी मां की भूमि में आया हूं
वरुण ने कहा- जब मैं पहली बार सुल्तानपुर आया था, तो मुझे पिता की खुशबू महसूस हुई थी, लेकिन आज मुझे लग रहा है कि मैं अपनी मां की भूमि में आया हूं। हम लोग जब सुल्तानपुर में चुनाव लड़ने आए, तो लोगों ने कहा था कि जैसी अमेठी-रायबरेली में रौनक है। हम चाहते हैं कि सुल्तानपुर में भी ऐसी रौनक आए।

आज देश में जब सुल्तानपुर का नाम लिया जाता है, तो पहली लाइन में लिया जाता है। सुल्तानपुर का कोई व्यक्ति लखनऊ, दिल्ली या बनारस जाए। उसके साथ हमेशा एक पहचान जुड़ी है। लोग कहते हैं कि अच्छा मेनका गांधी वाले सुल्तानपुर से आए हो।

हम खून के रिश्ते का वादा करते हैं
वरुण ने कहा-जितने लोग यहां उपस्थित हैं। अगर आप लोगों पर कभी कोई संकट में आता है, तो मैं अपना नंबर दे रहा हूं। नोट कर लीजिए। कभी भी मुझे फोन करिए और अपनी समस्याओं को बताइए। मैं आपकी मदद करूंगा। सुल्तानपुर में काबिलियत, साहस, प्रतिभा और स्वाभिमान की कमी नहीं है।

सुल्तानपुर के लोगों को सिर्फ ऐसा एक व्यक्ति चाहिए, जो उनको अपना परिवार माने। परिवार का मतलब होता है, हर वार पर जो साथ दे। लोग वादा करते हैं कि नाली, सड़क, बिजली सही होगा, यह सब तो होता रहेगा। लेकिन, हम खून के रिश्ते का वादा करते हैं।

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