वाराणसी के कारीगरों ने बनाया 3 हजार किलो का घंटा:कृष्ण की नगरी मथुरा में होगा स्थापित

वाराणसी के कारीगरों ने बनाया 3 हजार किलो का घंटा

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

 

वाराणसी। शिव की नगरी काशी से भगवान कृष्ण के लिए घंटा भेजा गया है। पीतल समेत तमाम धातुओं से बना 3 हजार किलो का घंटा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करेगा। इसे बनाने में 15 महीने से अधिक समय लगा है।

वहीं घंटे में मयूर, अमृत कलश, कमल पुष्प सहित कई सनातनी संकेत उकेरे गए हैं। मथुरा रवाना करने से पहले काशी में भारी भरकम घंटे का पूरे मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ पूजन किया गया।

काशी में तैयार हुआ 3 हजार किलो का घंटा।

(काशी में तैयार हुआ 3 हजार किलो का घंटा।)

घंटे की आवाज से नकारात्मक ऊर्जा होगी समाप्त

कबीरनगर स्थित श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम से ट्रस्टी स्वामी ब्रजेशानंद सरस्वती ने वाहन पर रखे घंटे का विधिवत पूजन कर उसे हरी झंडी दिखाकर मथुरा के लिए रवाना किया। पूजन-अर्चन के साथ रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा।

घंटा की विशेषता के बारे में उन्होंने बताया कि इसकी आवाज जहां तक जाएगी, वहां तक नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाएंगी। देवताओं का आगमन होगा, भगवान का आगमन होगा। इसे बजाने के लिए एक मशीन लगाई जाएगी। सरोवर के पास एक स्तंभ बनाया गया है। स्तंभ के ऊपर इसे स्थापित किया जाएगा। सुबह-शाम आरती के समय इसे मशीन से बजाया जाएगा।

काशी में संतो द्वारा घंटे का पूजन किया गया।

(काशी में संतो द्वारा घंटे का पूजन किया गया।)

30 से 50 कारीगरों ने किया तैयार

कारीगर प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि इसे बनाने में 15 महीने से ज्यादा का समय लगा है। इसमें लगातार 10 कारीगर लगे। लेकिन बीच-बीच में 30 से लेकर 50 कारीगर भी लगे। घंटे का वजन 3 हजार किलो से ऊपर है। इसकी आवाज बहुत शानदार है। उन्होंने बताया कि इसमें पीतल की मात्रा ज्यादा है। वैसे इसको बनाने में अष्टधातु का इस्तेमाल किया गया। मथुरा आश्रम से ही सभी धातुएं लाई गई थीं। मंदिरों में लगे घंटे बिना नक्काशी के ही बने होते हैं।

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