उप्र: स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए चलेगा अभियान

उप्र: स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए चलेगा अभियान

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। हर तबके के बच्चों को स्कूल लाने के साथ-साथ सरकार का फोकस उन बच्चों को भी स्कूल वापस लाने का है, जो किसी न किसी वजह से बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं।

अब योगी सरकार इसके लिए अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान के अंतर्गत नीदरलैंड्स के अर्ली वार्निंग सिस्टम को उत्तर प्रदेश में लागू किए जाने की रूपरेखा बनाई जा रही है। नीदरलैंड्स के इस सिस्टम को समझने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री समेत 12 लोगों की टीम मार्च में नीदरलैंड्स जाएगी।

बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वे के अनुसार 2020-21 में 4.81 लाख, 2021-22 में 4 लाख से अधिक और 2022-23 में 3.30 लाख बच्चे बीच में स्कूल छोड़ गए। 6 से 14 वर्ष की आयु वाले इन बच्चों का दोबारा स्कूल में दाखिला कराया गया है और अब प्रदेश सरकार ऐसे सिस्टम पर काम कर रही है ताकि बच्चों के स्कूल बीच में छोड़ते ही 40 दिन के अंदर इसकी ट्रैकिंग शुरू हो जाए और उनकी समस्या का निराकरण करते हुए उनकी जल्द से जल्द स्कूल में वापसी कराई जा सके।

बच्चों व अभिभावकों को किया जाएगा प्रोत्साहित

उत्तर प्रदेश के स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम की तर्ज पर यूपी के परिषदीय स्कूलों में भी अनुपस्थित रहने वाले बच्चों अर्थात आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। जो बच्चे किसी भी कारण स्कूल में लगातार अनुपस्थित रह रहे हैं, उनके अभिभावकों से बात करके उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपने बच्चों को स्कूल ज़रूर भेजें। 

इस साल लागू हो सकता है सिस्टम

उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में जल्द से जल्द इस सिस्टम को शुरू करने के लिए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में शिक्षाधिकारियों के साथ-साथ यूपी में पुरस्कार विजेता टीचर्स की 12 सदस्यीय टीम शैक्षिक भ्रमण के लिए नीदरलैंड जाएगी।

यह टीम वहां अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में जानने व नवाचार के अभ्यास से जुड़ेगी। पूरे सिस्टम को समझने के बाद जब टीम वापस लौटेगी तो देखा जाएगा कि इसे किस तरह उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में लागू किया जा सकता है।

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