सुप्रीम कोर्ट का आदेश- ज्ञानवापी में टैंक की सफाई करें: वाराणसी DM की देखरेख में होगा काम

ज्ञानवापी
2 जनवरी को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के सील वाले इलाके की साफ-सफाई को लेकर मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि कथित शिवलिंग के पास मौजूद पानी के टैंक में मछलियां मर गई हैं। उसे मई 2022 से साफ नहीं किया गया। इस पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सफाई का आदेश दिया।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

वाराणसी । ज्ञानवापी परिसर में बने टैंक की 20 महीने बाद सफाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इसका आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि टैंक की सफाई डीएम वाराणसी की देख-रेख में होगी। इस दौरान टैंक में बनी संरचना से छेड़खानी नहीं होनी चाहिए। ज्ञानवापी के वजूस्थल में बने टैंक में मई 2022 में कमिश्नर सर्वे के दौरान कथित शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी।

हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि यह शिवलिंग है। जबकि मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इसे फव्वारा बताया था। इसके बाद 17 मई 2022 को वाराणसी कोर्ट ने इस वजूस्थल को सील करने का आदेश दिया था। तब से परिसर का यह एरिया सील है।

इसी साल, 2 जनवरी को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के सील वाले इलाके की साफ-सफाई को लेकर मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि कथित शिवलिंग के पास मौजूद पानी के टैंक में मछलियां मर गई हैं। उसे मई 2022 से साफ नहीं किया गया। इस पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सफाई का आदेश दिया।

16 मई को मिला था कथित शिवलिंग
वाराणसी कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का 2022 में 6 से 16 मई के बीच कमिश्नर सर्वे हुआ था। इस दौरान वजूस्थल पर कथित शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी। इस आकृति को हिंदू पक्ष ने शिवलिंग बताते हुए कोर्ट में अर्जी देकर उस स्थान को सील करने की मांग उठाई थी। तर्क था कि मुस्लिम पक्ष छेड़छाड़ कर सकता है। इसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन ने तत्काल प्रभाव से वजूस्थल को सील करने का आदेश दिया था।

इसके अगले दिन यानी 17 मई को डीएम ने वजूस्थल को सील कर दिया था। CRPF को वजूस्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी। तब से वजूस्थल में 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। ​​​​​​इसके बाद हिंदू पक्ष ने वजूस्थल को छोड़कर संपूर्ण परिसर का सर्वे कराने की कोर्ट की मांग की थी।

ज्ञानवापी में मई 2022 में कमिश्नर सर्वे हुआ था। इसके बाद ASI सर्वे हुआ था। यह फोटो ASI सर्वे के दौरान की है।

ज्ञानवापी में मई 2022 में कमिश्नर सर्वे हुआ था। इसके बाद ASI सर्वे हुआ था। यह फोटो ASI सर्वे के दौरान की है।

84 दिनों तक चला ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे
इसके बाद हिंदू पक्ष ने वाराणसी कोर्ट में परिसर का साइंटिफकिक सर्वे कराने की मांग की। मामला वाराणसी कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट तक गया। इसके बाद वाराणसी कोर्ट के आदेश पर 24 जुलाई से ASI टीम ने सर्वे शुरू किया। हालांकि, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इसके बाद उसी दिन यानी 24 की शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वे की मंजूरी मिली।

4 अगस्त से ASI के देशभर से आए विशेषज्ञों ने ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया। 4 अगस्‍त से जारी सर्वे 16 नवंबर यानी 84 दिनों में पूरा हुआ। ASI ने ज्ञानवापी परिसर में GPR, फोटोग्राफ, वीडियोग्राफी समेत सभी पहलुओं पर सर्वे किया था। ASI और अमेरिका के GPR सर्वे एक्सपर्ट ने 36 दिन में इसकी रिपोर्ट तैयार की। ​​​​

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

ASI ने तीन हिस्सों में तैयार की रिपोर्ट
ज्ञानवापी में सर्वे के बाद ASI ने तीन हिस्सों में रिपोर्ट को तैयार किया। पहली कापी ऊपरी हिस्सों में दिखने वाली आकृतियों की है, जिसमें स्थलीय बनावट, काल और समय का डिटेल दर्ज है। दूसरी में जमीन के अंदर की GPR सर्वे की डिटेल को शामिल किया है। इसमें जमीन के नीचे मौजूद अवशेषों का एक्स-रे किया गया। तीसरी में वीडियो-फोटोग्राफी को स्थान के साथ मार्क किया है।

ज्ञानवापी की तीन हिस्सों में तैयार रिपोर्ट को वाराणसी जिला जज की कोर्ट में सब्मिट हो चुकी है। हिंदू पक्ष की मांग है कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। हालांकि अभी ने रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।

 

ज्ञानवापी मामले में ASI के एडिशनल डायरेक्टर ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट 1000 से ज्यादा पेज की है। ASI को ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इनको भी कोर्ट में पेश किया गया।

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