श्रीराम का जन्म एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ : विक्रम सिंह
 

श्रीराम का जन्म एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ : विक्रम सिंह

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

प्रयागराज । प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित सिविल लाइन स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज में गुरुवार को चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन राम रुप सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा छह से लेकर 12 तक के लगभग 230 छात्र-छात्राओं ने राम रूप धारण कर प्रभु श्रीराम की सुन्दर झाँकी प्रस्तुत की।

इस अवसर पर अतिथियों ने राम रुप झाँकी पर वेद ध्वनि के साथ पुष्पवर्षा की। तत्पश्चात् लव एवं कुश की झांकी प्रस्तुत करने वाली आयुषी तिवारी एवं साक्षी तिवारी ने प्रभु श्रीराम की कथा अपने मधुर वाणी में गीत के माध्यम से प्रस्तुत की। रामरूप झाँकी एवं मां दुर्गा की आरती की गई।

मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित व्यवसायी दिलीप चौरसिया, अध्यक्ष के रुप में काशी प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक रामजी सिंह तथा विशिष्ट अतिथि काशी प्रान्त के प्रान्त संगठन मंत्री डॉ. राम मनोहर, विद्यालय अध्यक्ष च्यवन भार्गव, प्रबन्धक डॉ संजय सिंह एवं विद्यालय के कोषाध्यक्ष सुरेशचन्द्र चन्द्र श्रीवास्तव उपस्थित रहे।

विद्यालय में हिन्दी के आचार्य सरोज दुबे ने प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। महर्षि वाल्मीकि एवं तुलसीदास द्वारा रचित रामायण एवं रामचरित मानस के बाल काण्ड में श्रीराम के जन्म का वर्णन किया गया है। भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। धरती पर असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में मानव अवतार लिया था। भगवान राम ने अपने जीवनकाल में कई कष्ट सहते हुए मर्यादित जीवन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रदेश निरीक्षक ने कहा भगवान राम का प्राकट्य पृथ्वी पर मर्यादा स्थापित करने के लिए हुआ है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। जिन भैया-बहनोंं ने आज यहां पर राम रूप की झंकी प्रस्तुत की है, वे सभी भगवान राम के गुणों को अपने अन्दर निश्चित रूप से आत्मसात करेंगे। काशी प्रान्त के संगठन मंत्री डॉ. राम मनोहर ने कहा कि भगवान राम अपने आदर्श गुणों के लिए जाने जाते हैं।

मुख्य अतिथि ने हिन्दू नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए सभी को साधुवाद दिया। विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम श्री हरि विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार थे। बारह कलाओं के स्वामी श्रीराम का जन्म लोक कल्याण और जनमानस के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। श्रीराम को हिन्दू धर्म के महानतम देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है।

वे करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को मनाने के उद्देश्य की सार्थकता तभी सिद्ध होगी, जब हम प्रभु राम के आदर्शों को अपने अन्दर आत्मसात करें। अन्त में विद्यालय के परीक्षा प्रमुख सुरेशचन्द्र त्रिपाठी ने सभी का आभार ज्ञापन किया गया। संचालन हरेकृष्ण त्रिपाठी एवं मनीषा राय ने किया।
 

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