महाशिवरात्रि पर्व पर शिव मंदिरों में शिव भक्तों का रेला

महाशिवरात्रि पर्व पर शिव मंदिरों में शिव भक्तों का रेला

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

कानपुर । आदि शक्ति मां पार्वती एवं बाबा भोलेनाथ के विवाह के दिन मनाए जाने वाले पर्व महाशिवरात्रि के पर्व पर कानपुर नगर के शिव मंदिरों में भोर से शिव भक्तों की भीड़ उमड़ चुकी है। पुलिस एवं मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम किया है।

महाशिवरात्रि पर्व नगर के मुख्य शिव मन्दिर शिवाला, खेरेपति मन्दिर, नागेश्वर मन्दिर, सिद्धनाथ मन्दिर , महादेवन मन्दिर, भोलेश्वरनाथ मन्दिर बर्रा-2, श्यामल दास मन्दिर जूही, वनखण्डेश्वर मन्दिर, आनन्देश्वर मन्दिर, अद्धितीय शिव मन्दिर, गुमटी मुख्य बाजार में एवं जागेश्वर मन्दिर मन्दिर में भोर से बम बम भोले नाथ के जयकारे के साथ भक्त जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं।

प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर्व की पूर्व संध्या पर सभी शिवमंदिरों की सफाई व्यवस्था एवं चूना छिड़काव के साथ-साथ सभी मन्दिर में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत डस्टबिन रखने, जन-जागरूकता हेतु बैनर लगाने, सिंगल प्लास्टिक यूज के सम्बन्ध में जानकारी आदि के सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग को आदेशित किया था।

इसके अतिरिक्त प्रत्येक मंदिर में तीन पारियों में सफाई कर्मचारियों की तैनाती के निर्देश दिये गये हैं, साथ ही जोनल अधिकारी को सख्त निर्देश दिये गये हैं कि अपने-अपने जोन के मन्दिरों का निरीक्षण समय-समय पर करते रहें, जिससे कोई दिक्कत न उत्पन्न होने पाये। साथ ही नगर स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने जोन का नियमित भ्रमण करते हुए मन्दिर के महन्त या संस्था से सम्पर्क बनाये रखते हुए समस्त कार्यवाही सुनिश्चित करें।

दूसरी काशी के रूप में प्रसिद्ध सिद्धनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़

जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर की विशेष मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में इस मंदिर का निर्माण हुआ था । इसे दूसरी काशी के रूप में भी जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि, जिसे लोग जाजमऊ टीला कहते हैं, दरअसल यहां त्रेता युग में राजा ययाति का किला हुआ करता था , जब वह किला खत्म हुआ तो एक पहाड़ के टीले की तरह हो गया।

राजा ययाति के पास 1000 गाय थी ,जो रोजाना आसपास के जंगलों में जाती थी, एक गाय लगातार कुछ झाड़ियों के बीच में जाती थी , तो उसके थन से दूध अपने आप निकलने लगता था ,ऐसा जानकर राजा ययाति ने उस जगह की खुदाई करवाई खुदाई में वहां एक स्वयंभू शिवलिंग दिखा। जिसके बाद राजा ययाति ने यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया।

कुछ दिन बाद राजा ययाति को स्वप्न आया कि यहां 100 यज्ञ कराए जाएं तो इस स्थान का काशी के बराबर का दर्जा होगा। गंगा किनारे बने इस मंदिर में सिद्ध करने के लिए यज्ञ शुरू हुए , लगातार कई वर्षों तक 99 यज्ञ पूरे हो गए, लेकिन तभी एक कौवे ने यज्ञ कुंड में हड्डी डाल दी इसके कारण 100 वां यज्ञ पूरा नहीं हो सका। इस मंदिर को काशी के बराबर तो मान्यता नहीं मिल सकी, लेकिन तब से इसे सिद्धनाथ मंदिर के रूप में और दूसरे काशी के नाम से जाना जाने लगा।

निकलती है सैकड़ों साल पुरानी शिव बारात

महाशिवरात्रि के दिन यहां लाखों की तादाद में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। शिवरात्रि पर यहां से निकलने वाली सैकड़ों साल पुरानी शिव बारात भी बहुत खास होती है। मंदिर के आसपास की सभी बाजार से इस दिन बंद होती हैं , और कई किलोमीटर लंबी शिव बारात सिद्धनाथ मंदिर के पास से गुजरती है ।

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