संकट मोचन संगीत समारोह: डॉ. सुप्रिया शाह ने सितार वादन से जीता दिल,  मंदिर में गीत-संगीत की यह परंपरा 500 साल से चली आ रही

 संकट मोचन संगीत समारोह: डॉ. सुप्रिया शाह ने सितार वादन से जीता दिल,  मंदिर में गीत-संगीत की यह परंपरा 500 साल से चली आ रही
काशी के संगीतकार पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया, संकट मोचन मंदिर में गीत-संगीत की यह परंपरा 500 साल से चली आ रही है। इसे गोस्वामी तुलसीदास ने ही शुरू कराया था। कलाकार आते थे और बजरंगबली को अपने मधुर कंठों का संगीत सुनाते थे। उनकी उपासना का यही मार्ग था। आज से 100 साल पहले साल 1923 में संकट मोचन मंदिर के महंत पंडित बाकेराम मिश्रा ने आधिकारिक तौर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। मंदिर में मंच बनाकर विधिवत शास्त्रीय गायन और वादन होने लगा।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

वाराणसी । सोमवार शाम को 100वें संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत हुई। सबसे पहले दिल्ली के भास्करनाथ ने शहनाई बजाकर लोगों को भक्तिमय किया। इसके बाद BHU की सितार वादक डॉ. सुप्रिया शाह की सितार का कलरव गूंज उठा। फिर मुंबई के मशहूर शास्त्रीय गायक रतन शर्मा ने राग बागेश्री गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

तबले पर भास्करनाथ की संगत कपिल कुमार और अतहर हुसैन ने की। वहीं रजनीश तिवारी और मोहित साहनी ने तबले और संवादिनी पर शास्त्रीय गायक रतन शर्मा का साथ दिया। बाबा की ड्योढ़ी पर कलाकारों और आंगन में भक्तों की भारी भीड़ है। सभी शांति से बैठकर बाबा की भक्ति में लीन दिख रहे हैं।

पहले तस्वीरों में देखिए संकट मोचन संगीत समारोह...

हनुमान चालीसा पर कुचीपुड़ी नृत्य ने मन मोह लिया।

हैदराबाद से आईं पद्मश्री पद्मजा रेड्डी ने कुचिपुड़ी नृत्य कर दर्शकों का मन मोहा।

गंगा सेवा निधि के विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती में पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिला।

संकट मोचन मंदिर में सितार पर राग बागेश्री बजातीं BHU की सितार वादक डॉ. सुप्रिया शाह।

संकट मोचन मंदिर में लगी भक्तों की कतार। सजे हुए दृश्यों को देखते लोग।

संकट मोचन मंदिर के 100वें संगीत समारोह में मंदिर के आंगन में बैठे भक्त।

संकट मोचन संगीत समारोह 7 दिनों तक चलेगा। इसमें 180 प्रतिष्ठित कलाकारों की 58 प्रस्तुतियां गाना, इंस्ट्रूमेंट प्ले, नाटक और क्लासिकल डांस आदि होंगे। पूरा प्रोग्राम शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे तक चलेगा। सामवेद के अनुसार, जिस पहर के लिए जो राग बनी है, यहां पर भक्त उसी समय में वह खास राग सुनेंगे। भोर में आप भैरवी सुन भाव-विभोर हो जाएंगे। यह संगीत वास्तव में भक्तों को भगवान से जोड़ देता है।

दिल्ली के भास्करनाथ के शहनाई वादन के साथ 100वें संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत हो गई। तबले पर उनकी संगत कपिल कुमार और अतहर हुसैन ने की।

दिल्ली के भास्करनाथ के शहनाई वादन के साथ 100वें संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत हो गई। तबले पर उनकी संगत कपिल कुमार और अतहर हुसैन ने की।

ये प्रसिद्ध कलाकार आएंगे काशी के संकट मोचन
प्लेबैक सिंगर सोनू निगम, बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, भजन मास्टर अनूप जलोटा यहां आएंगे। इनके अलावा जयपुर के सारंगी उस्ताद मोइनुद्दीन खान और उस्ताद अकरम खान, कोलकाता के तबला वादक बिलाल खान, संतूर में कोलकाता से तरुण भट्टाचार्य, उस्ताद राशिद खान समेत 20 से ज्यादा पद्म अवार्डी भी आएंगे। श्री संकट मोचन मंदिर में कुल 13 प्रस्तुतियां मुस्लिम फनकार देंगे।

संगीत समारोह के लिए संकट मोचन मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है।

500 साल से चली आ रही यह परंपरा
काशी के संगीतकार पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया, संकट मोचन मंदिर में गीत-संगीत की यह परंपरा 500 साल से चली आ रही है। इसे गोस्वामी तुलसीदास ने ही शुरू कराया था। कलाकार आते थे और बजरंगबली को अपने मधुर कंठों का संगीत सुनाते थे।

संकट मोचन दरबार का मुख्य द्वार। यहीं से भक्तों को प्रवेश मिलेगा।

उनकी उपासना का यही मार्ग था। आज से 100 साल पहले साल 1923 में संकट मोचन मंदिर के महंत पंडित बाकेराम मिश्रा ने आधिकारिक तौर पर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। मंदिर में मंच बनाकर विधिवत शास्त्रीय गायन और वादन होने लगा।

यह संकट मोचन संगीत समारोह का शताब्दी वर्ष है।

शाम को यमन और रात में रागेश्री की प्रस्तुति
पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया, संगीत के कई राग होते हैं और अलग-अलग समय में गाए जाते हैं। इस समारोह की खासियत यह है कि जिस पहर का संगीत होगा, आप उसे उसी पहर में सुनोगे। यह कार्यक्रम ओवर नाइट होता है तो भैरवी राग आप भोर में ही सुन सकेंगे। फिर सुबह में आपको सोहनी, गुणकली, बिलासखानी तोड़ी, तोड़ी, जोगिया आदि सुनने को मिलेगा।

मंदिर में आए भक्त शाम को यमन, पुरिया, देस राग तो वहीं, रात में बागेश्री, रागेश्री, मालकौंस, अड़ाना, दरबारी आदि रागों पर गायन, वादन और नृत्य देख मन ही मन झूमेंगे। एक यही समारोह है, जहां संगीत सुनना सिद्ध हो जाता है। संगीत का 100% प्रभाव आपके अंदर दिखता है। कभी महसूस करके देखिए।

संकट मोचन दरबार में पूरी रात भक्त संगीत साधना में लीन रहते हैं।

संकट मोचन दरबार में पूरी रात भक्त संगीत साधना में लीन रहते हैं।

70 में महिलाओं और 80 के दशक में मिली मुस्लिमों को एंट्री
संगीत समारोह के दरबार में महिला कलाकारों की एंट्री 70 के दशक में हुई। वहीं मुस्लिम और दूसरे धर्मों की एंट्री 80 के दशक में हुई। पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली तो संगीत समारोह के सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले कलाकार साबित हो गए। वे पाकिस्तान से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आते थे। उनके अलावा, पंडित जसराज हर साल इस प्रोग्राम में हिस्सेदारी लेने अमेरिका से आते थे।

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