RSS ने कहा- काशी और मथुरा के बाद भी कई मंदिरों को बचाना जरूरी , काशी के सभी देवालयों के मुक्ति की मांग 

  RSS ने कहा- काशी और मथुरा के बाद भी कई मंदिरों को बचाना जरूरी ,  काशी के सभी देवालयों के मुक्ति की मांग

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

वाराणसी । आज ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के सेमिनार में काशी के देवालयों के मुक्ति की बात उठी। प्रोफेसरों और धर्माचार्याें ने कहा कि काशी-मथुरा के बाद आगे भी मंदिरों वापसी का सिलसिला जारी रहेगा। साथ ही यह भी कहा कि मुस्लिम भी भगवान राम की ही संतान हैं। अब समय है अपनी ऐतिहासिक गलतियां सुधार लें।

मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में आज ये सेमिनार हुआ। यहां आए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) पूर्वी उत्तर प्रदेश धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार ने कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि बाबा विश्वनाथ और कृष्ण जन्मभूमि दे दिया तो बाकी सब मंदिर छोड़ देंगे। हमारे महादेव कृति वासेश्वर महादेव को छोड़ देंगे क्या। केवल बाबा विश्वनाथ मिल जाए तो छोड़ देंगे। कौन हैं आप। आपको भूमिका मिली है लड़ने की, निर्णय करने की नहीं। हम उन पूर्वजों की संतान हैं, जिन्होंने धर्म के लिए गर्दन कटाए।

मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में बड़ी संख्या में विद्वानों और के साथ आम लोग भी मौजूद थे।

(मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में बड़ी संख्या में विद्वानों और के साथ आम लोग भी मौजूद थे।)

पूर्वजों ने रक्तांजलि देकर धर्म को बचाया

अभय कुमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने रक्तांजलि देकर धर्म को बचाया। उनका जन्म ही इसीलिए हुआ था। ढेर सारे लोग खड़े हो रहे कि ये छोड़ देंगे, वो छोड़ देंगे। लेकिन, आप का काम है कि अपने पूर्वजों का जहां-जहां अपमान हुआ है, यदि शक्ति हो तो उस अपमान को सम्मान में बदलें। शांति उसे नहीं कहते कि सब कुछ दे दें और कह दें बस। भगवान कृति वासेश्वर बेहद मुश्किल में हैं। केवल बाबा विश्वनाथ ही मुक्ति के लिए नहीं हैं। लाट भैरव, माधव राव का धरहरा भी है। ये सब चाहिए। मांगना है तो आप ऐसी बात करो कि एक ही में सब हो जाए।

अभय कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का अध्ययन कर हिंदू समाज ज्ञानवापी समस्या का समाधान खोजे। अन्य हिंदू मंदिरों पर अपना दावा ठीक प्रकार से करें। रोज नए शोध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हिंदू समाज भगवान भोलेनाथ की प्राण प्रतिष्ठा के आगे बढ़ रहा है।

कार्यक्रम में श्री राममंदिर आंदोलन में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

(कार्यक्रम में श्री राममंदिर आंदोलन में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।)

यूपी सरकार के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन जिन विभूतियों के द्वारा शुरू किया गया, वो अत्यंत हमारे लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी हिंदुओं को मिलनी चाहिए इसमें कोई विवाद का विषय ही नहीं है।

BHU के प्रोफेसर बोले- मुस्लिम ऐतिहासिक गलतियां सुधारें

BHU के पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश मिश्र ने कहा कि मुसलमान ऐतिहासिक गलतियों को सुधारें। हिंदू समाज से माफी मांगे। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी प्रतीकात्मक पोशाक को छोड़ आम भारतीयों के वेशभूषा को धारण कर लेना चाहिए।

ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ल ने कहा कि ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए यह संस्था सन 1993 से लगी हुई है।

(ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ल ने कहा कि ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए यह संस्था सन 1993 से लगी हुई है।)

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्साहित हैं हिंदू
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने कहा कि जब से 22 जनवरी को राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और न्यायालय के फैसले के बाद हिंदू समाज उत्साहित है।ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ल ने कहा कि ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए यह संस्था सन 1993 से लगी हुई है। आगे भी कार्यक्रम एवं गोष्ठी का आयोजन होता रहेगा। कार्यक्रम में श्री राममंदिर आंदोलन में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

RSS के अभय कुमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने रक्तांजलि देकर धर्म को बचाया। उनका जन्म ही इसीलिए हुआ था।

RSS के अभय कुमार ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने रक्तांजलि देकर धर्म को बचाया। उनका जन्म ही इसीलिए हुआ था।

इसमें प्रमुख रूप से पद्मपति शर्मा, डॉ. उपेंद्र विनायक सहस्त्रबुद्धे, राजू पाठक, अरुण जायसवाल आदि शामिल थे। कार्यक्रम में त्रिलोक नाथ शुक्ल, दिनेश पाठक, अधिवक्ता अनघ शुक्ल, रमेश उपाध्याय, प्रांजल पांडेय, आशीष, गौरव प्रकाश आदि मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक राजा आनंद ज्योति सिंह ने किया।

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