रामपुर कोर्ट का फैसला : अब आजम खान के सियासी सफर का अंत 

Azam Khan
"आजम खान 75 साल के हैं। साल 2031 में वह 82 साल के हो जाएंगे। तब तक यूपी की सियासत भी काफी हद तक बदल चुकी होगी। आजम को सांस से जुड़ी कई बीमारियां भी हैं, जिनका इलाज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में चल रहा है। यानी कि इतने सालों बाद फिर से चुनाव लड़ना आजम के लिए कठिन होगा। लिहाजा...यह कह सकते हैं कि रामपुर कोर्ट का ये फैसला आजम खान के सियासी सफर का अंत हो सकता है।"

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

रामपुर । स्पेशल MP-MLA कोर्ट ने फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई है। अदालत के इस फैसले के बाद तीनों को हिरासत में ले लिया गया है। जिस रामपुर में कभी आजम खान की तूती बोलती थी, आज हालत यह है कि शायद इस सीट पर अब वह कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

 

रामपुर में आजम के सियासी रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह यहां से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रहे। उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी विधायक बनीं और बेटा अब्दुल्ला आजम 2 बार विधायक रहा। रामपुर की सियासत से जुड़े सबसे बड़े परिवार के राजनीतिक अस्त की कहानी बेहद दिलचस्प है। इसमें पैसा है...पावर है। रसूख है और ध्वस्त होती राजनीति की बेबसी है।

कहानी शुरू होती साल 1967 से..

कहानी शुरू होती साल 1967 से...देश की आजादी के बाद यूपी में 3 चुनाव हो चुके थे। ये वो वक्त था जब रामपुर की सियासत में नवाब परिवार ने कदम रखा। शुरुआती दौर में रामपुर के नवाबों ने कांग्रेस को अपने लिए सबसे बेहतर समझा। 1967 में रामपुर के नवाब रहे जुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मियां संसद पहुंचे। मिकी मियां का रामपुर में ऐसा रसूख था कि वह जो बात कह देते उनके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत तक नहीं करता था। यह दबदबा 8 साल कायम रहा। फिर, साल 1975 में आपातकाल घोषित होने के बाद रामपुर के हालात बदलने लगे।

साधारण से टाइपराइटर मुमताज का बेटा आजम खान जेल से छूटकर रामपुर लौटा

शहर के एक साधारण से टाइपराइटर मुमताज का बेटा आजम खान जेल से छूटकर रामपुर लौटा। तेज-तर्रार आजम शहर लौटते ही पढ़ाई के लिए अलीगढ़ चले गए। वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी AMU में वकालत पढ़ने गए जहां पर उन्हें कॉलेज पॉलिटिक्स पसंद आने लगी। छात्रों के समर्थन की बदौलत आजम AMU में छात्र संघ के सेक्रेटरी बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने देश में लगी इमरजेंसी के खिलाफ सड़क पर प्रोटेस्ट किया। यह विरोध इतना तीखा था कि उन्हें 19 महीने जेल में डाल दिया गया।

साल 1977 में जेल से छूटते ही आजम ने जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। उनके सामने थे कांग्रेस के मंजूर अली खान उर्फ शन्नू मियां। आजम ने कम उम्र में पहला चुनाव लड़ा। पैसे नहीं थे... इसलिए उतना दबदबा बना नहीं पाए। पहला विधानसभा चुनाव हार गए। लेकिन बुरी हार के बावजूद हौसला नहीं टूटा।

1980 में सिक्का पलटा...
साल 1980 में रामपुर विधानसभा सीट पर फिर चुनाव हुआ। आजम ने फिर से किस्मत आजमाई। इस बार रिजल्ट उनके पक्ष में रहा। आजम रामपुर के किंग बन गए। पहली बार विधायकी हाथ लगी तो आजम ने फिर पलटकर नहीं देखा। साल-दर-साल वह यूपी में मुस्लिमों की सियासत का बड़ा चेहरा बन गए।

यूपी में आजम के सियासी रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी राजनीति को देख सपा संस्थापक मुलायम भी उनके फैन बन गए थे। आजम रामपुर सीट से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रहे। उनके बाद पत्नी तंजीन फातिमा भी विधायकी जीत गईं।

साल 2022 में रामपुर सदर सीट से लोकसभा उपचुनाव का ऐलान हुआ। जेल में रहते हुए आजम चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इसलिए उन्होंने अपना सियासी उत्तराधिकारी आसिम रजा को बनाया। आसिम को उपचुनाव में उतारने से आजम खान के तमाम मजबूत सिपहसलार नाराज हो गए। कई सपा नेता उनका साथ छोड़कर भाजपा के गुट में चले गए। इसका नतीजा रहा कि आसिम चुनाव हार गए। बीजेपी के घनश्याम लोधी ने आसिम को 42 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया।

लोकसभा उपचुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में कमल खिलाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम योगी से लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक तक रामपुर में रैलियां करने पहुंचे। रामपुर की गद्दी पर जमने के लिए बीजेपी नेता सुरेश खन्ना, दानिश रजा अंसारी और जितिन प्रसाद तक ने जिले में अपने कैंप लगा दिए।

उधर, लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बावजूद सपा ने विधानसभा उपचुनाव में फिर से आसिम रजा पर दांव खेला। वोटिंग से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने खुद रामपुर पहुंचकर आजम का हौसला बढ़ाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

चुनाव हुए...बीजेपी से आकाश सक्सेना ने विधायक बनकर इतिहास रच दिया। 8 दिसंबर 2022 को आए नतीजों में आकाश ने सपा के आसिम रजा को 34 हजार से ज्यादा वोटों से पटकनी दे दी। आकाश रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले पहले हिंदू उम्मीदवार बन गए।

तमाम मुश्किलों के बावजूद साल 2022 में आजम खान के लिए एक राहत भरी खबर आई। स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्ला दोबारा जीत गए। लेकिन ये खुशी बहुत दिनों के लिए नहीं थी। इस बार भी अब्दुल्ला को सरकारी कामकाज में खलल डालने के एक मुकदमे में सजा हुई। उनकी सदस्यता भी रद्द हो गई।

मई 2023 में स्वार सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए तो भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) के शफीक अहमद अंसारी को जीत मिली। शफीक ने सपा की अनुराधा चौहान को 8,724 वोटों से हराया था। इस तरह आजम फैमिली के कब्जे से स्वार सीट भी निकल गई।

2 तारीखें और आजम से सियासी अस्त की सुगबुगाहट
स्वार विधानसभा सीट गंवाने के बाद जब भी सुर्खियों में आजम का नाम आता, तो उसके साथ एक और शब्द जुड़ा रहता...जेल। एक के बाद एक केस में फंसते आजम की सियासी जमीन भी खिसकती जा रही थी। बीते 4 महीनों में 2 तारीखें ऐसी रहीं, जिसमें आजम सबसे ज्यादा याद किए गए।

15 जुलाई 2023: आजम खान को हेट स्पीच मामले में रामपुर की कोर्ट ने 2 साल सुनाई गई।

18 अक्टूबर 2023: आजम के बेटे अब्दुल्ला के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान, पत्नी तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई गई। अब्दुल्ला के 2 बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम फैमिली को रामपुर की स्पेशल MP/MLA कोर्ट ने बुधवार को दोषी करार दिया।

पहले हेट स्पीच में 2 साल की सजा और अब बेटे के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम को 7 साल की सजा मिल चुकी है। यानी वह अब साल 2030 तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। आजम न तो 2024 के लोकसभा चुनाव में खड़े हो पाएंगे न ही 2027 का विधानसभा चुनाव में लड़ेंगे। साल 2031 में सब कुछ ठीक रहा तो वह फिर चुनावी मैदान में उतरेंगे।

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