"सात वार नौ त्योहार" वाले शहर बनारस के लक्खा मेलों में शुमार नाटी इमली के भरत मिलाप की तैयारी पूरी

"सात वार नौ त्योहार" वाले शहर बनारस के लक्खा मेलों में शुमार नाटी इमली के भरत मिलाप की तैयारी पूरी

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

वाराणसी । "सात वार नौ त्योहार" वाले शहर बनारस के लक्खा मेलों में शुमार नाटी इमली के भरत मिलाप की तैयारी पूरी कर ली गई है। विजया दशमी के अगले दिन होने वाली यह लीला इस वर्ष 25 अक्तूबर को नाटी इमली स्थित ऐतिहासिक मैदान में होगी। लीला के अवसर पर कुंवर अनंतनारायण सिंह भी उपस्थित रहेंगे। इस 5 मिनट की लीला को देखने के लिए देश विदेश के लाखों की संख्या में लीला प्रेमी मैदान में मौजूद रहते हैं।

भरत मिलाप के लिए नाटी इमली का मैदान तैयार

काशी में सालों से लगातार भरत मिलाप की परंपरा चली आ रही है। लीला के 480वें संस्करण के लिए भरत मिलाप मैदान सजना शुरू हो गया है। वाराणसी के नाटी इमली में भरत मिलाप कार्यक्रम का आयोजन लंबे समय से हो रहा है। अब यह कार्यक्रम देश ही नहीं विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए कई देशों से लोग यहां पहुंचते हैं। मैदान में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मैदान से मुख्य द्वार की ओर से बैरिकेडिंग का काम भी पूरा हो चुका हैै। साथ ही पूरे मैदान में साफ-सफाई भी कर दी गई है। लीला के अवसर पर काशी राज परिवार के सदस्य कुंवर अनंत नारायण सिंह भी उपस्थित रहेंगे।

आइए अब जानते हैं कैसा होता है भरत मिलाप का दृश्य

अपने भाइयों के स्वागत के लिए जमीन पर लेट जाते हैं। भरत और शत्रुघ्न शाम को लगभग चार बजकर 40 मिनट पर जब अस्ताचल गामी सूर्य की किरणें भरत मिलाप मैदान के एक निश्चित स्थान पर पड़ती हैं, तब लगभग 5 मिनट के लिए माहौल थम सा जाता है। एक तरफ भरत और शत्रुघ्न अपने भाइयों के स्वागत के लिए जमीन पर लेट जाते हैं, तो दूसरी तरफ राम और लक्षमण वनवास ख़त्म करके उनकी और दौड़ पड़ते हैं। चारो भाइयों के मिलन के बाद जय-जयकार शुरू हो जाती हैं।

यादव बंधू निभाते हैं परंपरा

यदुकुल के कंधे पर रघुकुल का रथ सवार होता है, तो एक अद्भुत नजारा काशी में देखने को मिलता है। आंखों में सुरमा लगाए धोती और बनियान और सर पर पगड़ी लगाए यादव बंधू अद्भुत छटा बिखेरते हैं। श्रीराम का 5 टन का पुष्पक विमान फूल की तरह पिछले 480 सालों से यादव बंधू लीला स्थल तक लाते हैं और भाइयों को रथ पर सवार कर अयोध्या तक ले जाते हैं।

पांच मिनट की लीला में जुटती है लाखों की भीड़

नाटी इमली के ऐतिहासिक मैदान में होने वाले इस विश्वप्रसिद्ध लीला को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त काशी आते हैं। महज 5 मिनट की इस लीला को देखने के लिए नाटी इमली में लाखों की भीड़ जुटती है। इस लीला को देखने के लिए काशी राज परिवार के मुखिया कुंवर अंनत नारायण सिंह भी पूरे शाही ठाठ बाट के साथ आते हैं और लीला का दीदार करते हैं।

काशी राज परिवार भी इस भरत मिलाप का साक्षी बनता है। पिछले 227 सालों से काशी नरेश शाही अंदाज में इस लीला में शामिल होते रहे। पूर्व काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह ने इसकी शुरुआत की थी। 1796 में वह पहली बार इस लीला में शामिल हुए थे। तब से उनकी पांच पीढ़ियां इस परंपरा का निर्वहन करती चली आ रही हैं।

भगवान राम के अनन्य भक्त मेघाभगत ने की थी लीला की शुरुआत

चित्रकूट लीला समिति के सयुंक्त मंत्री कृष्ण मोहन अग्रवाल ने बताया कि भगवान राम के अनन्य भक्त मेघाभगत ने इस लीला की शुरुआत की थी। बीते 480 सालों से ये लीला निरन्तर चली आ रही है। प्रभु के दर्शनभक्तों की ऐसी आस्था है कि इस लीला स्थल पर स्वयं उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन होते हैं। यही वजह है कि पांच मिनट के इस लीला को देखने के लिए लाखों की भीड़ घण्टों पहले आकर लीला स्थल पर खड़ी हो जाती है।

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