शिवलिंग की कार्बन डेटिंग मामले की सुनवाई टली:जवाब दाखिल नहीं करने पर हाईकोर्ट ने ASI के अधिकारियों को लगाई फटकार

शिवलिंग की कार्बन डेटिंग मामले की सुनवाई टली:जवाब दाखिल नहीं करने पर हाईकोर्ट ने ASI के अधिकारियों को लगाई फटकार
पिछली सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुक्सान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है? याची अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चल सकेगा पर अभी तक एएसआई ने हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी केस में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग केस की सुनवाई बुधवार को भी नहीं हो सकी। शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच के मामले में हाईकोर्ट ने ASI को 20 मार्च को हुई सुनवाई में जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया था।

जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की एकल पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। बुधवार को भी एएसआई के अधिकारियों ने जब जवाब दाखिल नहीं किया तो हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।

ASI ने अभी तक नहीं दाखिल किया जवाब

पिछली सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुक्सान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है? याची अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चल सकेगा पर अभी तक एएसआई ने हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। इसपर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जवाब दाखिल करने का एएसआई को अंतिम मौका दिया था।

फिर पूछा-क्या शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग संभव है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 20 मार्च को को एएसआई से फिर पूछा कि क्या बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है? 16मई 2022 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।

जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 को कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी खारिज करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है। अगली सुनवाई 5 अप्रैल यानी आज होनी है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग विधि का इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, कोयला, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु की गणना की जा सकती है। इस विधि से ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु की गणना की जा सकती है। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। किसी पत्थर या चट्‌टान की आयु का पता लगाने के लिए उसमें कार्बन 14 का होना जरूरी होता है।

अमूमन 50 हजार साल पुरानी चट्टानों में कर्बन 14 पाया ही जाता है पर अगर नहीं भी है तो इसपर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप विधि से आयु का पता लगाया जा सकता है। कार्बन डेटिंग के विधि की खोज 1949 में अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड फ्रैंक लिबी और उनके साथियों ने किया था। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 1960 में रसायन का नोबल पुरस्कार दिया गया था। कार्बन डेटिंग की मदद से पहली बार लकड़ी की उम्र का पता लगाया गया था।

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