ज्ञानवापी मामला :  कोर्ट में एक बार फिर से सभी मामलों की सुनवाई टली, जानिए क्या है नई तारीख

ज्ञानवापी मामला :  कोर्ट में एक बार फिर से सभी मामलों की सुनवाई टली, जानिए क्या है नई तारीख
श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य विग्रहों के संरक्षण की मांग को लेकर चार महिलाओं ने याचिका दाखिल की है। इसी को लेकर महिलाओं की मांग है कि ज्ञानवापी के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। इस मामले को लेकर सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में अपनी बात रखी।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

वाराणसी उत्तर प्रदेश की विश्वनाथ नगरी काशी में स्थित ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सभी सात मामलों की सुनवाई अब एक साथ किए जाने के आवेदन पर आज भी कोर्ट का आदेश टल गया है। इसको लेकर अदालत ने अगली तारीख 23 मार्च की दी है।

कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनी थी दलीलें

 इससे पहले सोमवार को आदेश तैयार नहीं होने की वजह से सुनवाई की तारीख 22 मार्च तय की गई थी। वहीं सभी मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई पूरी हो चुकी है। न्यायलय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पत्रावली सुरक्षित कर ली थी और फैसला सुनाने की तारीख पहले एक मार्च फिर 13 मार्च की तिथि तय की थी। इस दिन भी इसका आदेश नहीं आ सका था तो उस दिन कोर्ट ने आदेश के लिए 20 मार्च की तिथि तय की थी।

जानिए क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य विग्रहों के संरक्षण की मांग को लेकर चार महिलाओं ने याचिका दाखिल की है। इसी को लेकर महिलाओं की मांग है कि ज्ञानवापी के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। इस मामले को लेकर सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में अपनी बात रखी।

अलग-अलग सुनवाई को लेकर नहीं होनी चाहिए सुनवाई

दूसरी ओर अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी के सभी मामले एक जैसे हैं। इनकी अलग-अलग सुनवाई नहीं होनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण से संबंधित याचिका से जुड़ी राखी सिंह ने इसका विरोध किया। उनके अधिवक्ता ने कहा कि वह सभी मामलों की सुनवाई एक साथ नहीं चाहती हैं।

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