बच्चों के शोषण पर रोक लगाने को गाइड लाइन जारी:सभी जिलों के बीएसए को भेजा गया पत्र, नियम का सख्ती से पालन कराने के निर्देश

yogi srkar

 Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

लखनऊ । योगी सरकार ने स्कूलों में बच्चों के शोषण को रोकने के लिए गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिया है। इस संबंध में शासन की ओर से सभी जिलों के बीएसए को पत्र जारी किया गया है। जिसमें उन्हें तय गाइडलाइंस का पालन कराने को कहा गया है। पत्र में ये भी कहा गया है कि स्कूलों में शोषण को रोकने की जिम्मेदारी प्रधानाचार्य, शिक्षक समेत अन्य लोगों की होगी। गलती मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

प्राचार्य, टीचर और स्टाफ से नियम का पालन कराने के निर्देश

बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने सभी जिलों के बीएसए को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में तय गाइडलाइंस का पालन किया जाए। साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, स्टाफ, वार्डेन एवं विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी इन गाइडलाइंस का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं।

23 फरवरी 2015 को जारी की गई थी गाइडलाइंस

23 फरवरी 2015 में सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर एक गाइडलाइन जारी की गई थी। जिसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा और बाल अपराध पर है। साथ ही इसमें शैक्षणिक संस्थानों का उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया गया था। उसी गाइडलाइन को अब सख्ती से लागू किया जाएगा।

बस के अंदर हेल्प लाइन नंबर लिखा होना जरूरी

प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधतंत्र/स्कूल मैनेजमेंट कमेटी एवं प्रधानाचार्यो का यह दायित्व है कि विद्यालय परिसर में या विद्यालय आते-जाते अथवा विद्यालय से बाहर फील्ड विजिट में इस प्रकार का वातावरण तैयार करें जो बच्चों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे । इसके साथ ही छात्र एवं छात्राओं का किसी प्रकार का शारीरिक एवं मानसिक एवं यौन शोषण न हो।

इसमें विद्यालय प्रांगण को सुरक्षित बनाने के लिए भी कई तरह के उपाय बताए गए हैं। इसमें स्कूल बसों में जीपीआरएस सिस्टम के साथ ही ड्राइवर व हेल्पर के वेरिफिकेशन की अनिवार्यता रखी गई है। साथ ही बस के अंदर चाइल्ड हेल्पलाइन और वूमेन हेल्पलाइन नंबर तथा पुलिस स्टेशन का नंबर लिखा होना चाहिए।

प्रत्येक बस में दो टीचर की इस प्रकार व्यवस्था होनी चाहिए जो बच्चों के साथ स्कूल में बस से आवागमन करेंगे। बच्चों में परस्पर समन्वय एवं जागरूकता के लिए अभियान चलाने के भी निर्देश हैं, जबकि विभिन्न संस्थाओं की मदद लेने और अन्य उपायों की जानकारी दी गई है।

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