बरेली: होली से तीन दिन पहले ही छापे बंद, नामचीन दुकानों के आसपास भी नहीं फटके

बरेली: होली से तीन दिन पहले ही छापे बंद, नामचीन दुकानों के आसपास भी नहीं फटके

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

बरेली। एफएसडीए (खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्रशासन) की सुस्ती से इस बार मिलावट के बाजार में राहत का माहौल रहा। पहले तो एफएसडीए के अफसर ऊपर से आदेश न आने के बहाने चुपचाप बैठे रहे और जब ऊपर से आदेश आया तो सिर्फ चार दिन में छापों की खानापूरी करके अभियान को निपटा दिया गया। इन चार दिनों में भी एफएसडीए की टीमों की ज्यादातर सक्रियता देहात के इलाकों में रही। शहर की नामचीन दुकानों के आसपास कोई टीम फटकी तक नहीं।

होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर शहर से ही पूरे जिले भर में मिलावटी माल पहुंचता है लेकिन एफएसडीए की दिलचस्पी इसके बावजूद पहले भी हमेशा देहात की छोटी-मोटी दुकानों से ही नमूने भरने में रही है। यही नहीं, होली के दिनों में आमतौर पर एफएसडीए का अभियान 10 से 12 दिन चलता था लेकिन इस बार एक मार्च को शुरू करने के बाद इसे सिर्फ चार दिन में निपटा दिया गया।

तीन दिनों से एफएसडीए की पांच में से किसी भी टीम ने कहीं कोई नमूना नहीं भरा। छोटे से अभियान में ज्यादातर छापे भी देहात में पड़े। हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि होली पर चलाए गए अभियान के दौरान 100 से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए हैं। सहायक आयुक्त द्वितीय खाद्य धर्मराज मिश्र ने बताया कि सभी नमूनों को जांच के लिए लैब भेजा गया है। लैब से रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।

होली से एक दिन पहले ही बिक गई 10 करोड़ की मिठाई

शहर में इस बार रंगों के साथ गुझिया भी जमकर बिकी। रेडिमेड गुझिया के बढ़ते चलन के कारण मिठाई की दुकानों पर बेहिसाब भीड़ दिखाई दी। मिठाई दुकानदारों के मुताबिक इस साल उनका कारोबार गुजरे कई सालों के मुकाबले काफी बेहतर रहा।अनुमान जताया जा रहा है कि होली से एक दिन पहले ही शहर के बाजार में करीब 10 करोड़ की मिठाई बिक गई।

घरों में गुझिया बनाने से ज्यादा लोग रेडिमेड गुझिया खरीदकर होली मनाते हैं, यही वजह रही कि इस बार गली-मुहल्लों की दुकानों से लेकर पॉश इलाकों में हर गुझिया का साम्राज्य नजर आया। सिविल लाइंस, डीडीपुरम, राजेंद्रनगर, रामपुर बाग, बिहारीपुर, बड़ा बाजार, आलमगीरीगंज जैसे इलाकों में मिठाई की दुकानों पर जमकर गुझियों का कारोबार हुआ।

छोटी दुकानों पर 300 से 400 रुपये किलो तक गुझिया बिकी तो नामचीन दुकानों पर 600 से लेकर 1200 रुपये तक। 600 से 640 रुपये के रेट में प्लेन गुझिया के साथ खोया और पगी गुझिया बिक रही है। नामचीन दुकानों पर ग्राहकों की लुभाने के लिए ड्राई फ्रूट्स की स्पेशल गुझिया तैयार कराई गई है जिसकी कीमत 1200 रुपये किलो तक है।

मिठाई कारोबारियों का कहना था कि पिछले सालों के मुकाबले रेडिमेड गुझियों का चलन बढ़ा है। इसी वजह से मिठाई के साथ गुझियों के कारोबार में इजाफा हुआ है। हालांकि कुछ गृहणियों का कहना है कि उन्हें तो घर की बनाई गुझिया ही पसंद है। शाहबाद में रहने वाली दीपमाला ने बताया कि उन्हें घर पर ही गुझिया बनाना ज्यादा पसंद है। इसी किसी तरह की मिलावट का खतरा नहीं रहता। सेव और नमकीन भी उन्होंने घर पर ही तैयार किए हैं।

कच्चा माल महंगा होने से बढ़े गुझियों के दाम बढ़े

पिछले सालों के मुकाबले गुझियों का दाम भी बढ़ा है। 250 रुपये किलो तक बिकने वाली गुझिया इस बार 300 से 400 रुपये के रेट में बिक रही है। इसका कारण खोया, रिफाइंड और मैदा के दाम बढ़ने को बताया जा रहा है। हालांकि घर पर गुझिया तैयार करना मशक्कत के साथ महंगा सौदा भी साबित हो रहा है। इसी कारण लोग तैयार गुझिया लेने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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