बरेली: माफिया अतीक के भाई अशरफ का जेल में लगता था दरबार, महंगे तोहफों और नोटों की गड्डी देकर खरीद लिए अफसर

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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

बरेली । माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ की ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत जेल के अफसरों में नहीं थी। सिपाही शिवहरि अवस्थी और ऑटो ड्राइवर नन्हे उर्फ दयाराम से पूछताछ में पुष्टि हुई है कि अशरफ के रुतबे के साथ महंगे तोहफों और नोटों की गड्डियों ने अफसरों को उसका इतना ज्यादा मुरीद बना दिया था कि उस पर निगरानी के बजाय वे उसे सलाम ठोकते थे।

दर्जन-दर्जन भर मुलाकाती जब एक साथ अशरफ से मिलने पहुंचते थे तो वह उनके साथ जेल में ही अपने अलग ठिकाने पर दरबार लगाता था। अफसर इस दौरान उससे आंख चुरा लेते थे। आसार हैं कि बरेली जेल के कई अफसरों पर जल्द गाज गिर सकती है।

माफिया अतीक अहमद का भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ प्रयागराज की नैनी जेल से 7 जुलाई 2020 को बरेली जेल में शिफ्ट किया गया था। कुछ ही समय बाद उसने यहां जेल के अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक अपना दबदबा कायम कर लिया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए सिपाही शिवहरि अवस्थी और ऑटो ड्राइवर नन्हे से पुलिस को कई राज खुलने की उम्मीद है। दोनों से पुलिस ने दो मोबाइल फोन और 3920 रुपये की नकदी बरामद की है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक माफिया अतीक अहमद भी 1 जनवरी 2019 को देवरिया से बरेली जिला जेल आया था। तभी से जेल के अफसरों से साठगांठ शुरू हो गई थी। इसी कारण बाद में जब अशरफ यहां आया तो उसे अपना जाल फैलाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। कहा जा रहा है कि बरेली जेल का हाल भी चित्रकूट जेल से अलग नहीं था।

दर्जन-दर्जन भर लोग बिना पर्ची चार-चार घंटे जमे रहते थे जेल में

सिपाही शिवहरी अवस्थी नियमों के विरुद्ध अशरफ से उसके साले सद्दाम के इशारे पर उसके दोस्त लल्ला गद्दी और दूसरे लोगों के साथ बिना पर्ची के चार-चार घंटे तक मुलाकात कराता था। एक ही आईडी पर अक्सर दर्जन-दर्जन भर लोग अशरफ से मिलने जेल पहुंचते थे। इस तरह की मुलाकातें हफ्ते में तीन-चार बार तक होती थीं। गिरफ्तार दयाराम उर्फ नन्हें अधिकारियों और कर्मचारियों की साठगांठ से अशरफ के लिए पैसे, खाना, मोबाइल फोन जैसा सारा सामान जेल के अंदर पहुंचाता था।

जेल से ही फोन कर रंगदारी मांगता था अशरफ

जेल के सिपाही शिवहरि और ऑटो ड्राइवर नन्हे से यह भी पता चला कि अशरफ जेल के अंदर से ही फोन कर लोगों को डराने, धमकाने के साथ रंगदारी मांगता था। ऐसी कोई भी बातचीत करने के बाद फोन का डाटा डिलीट कर दिया जाता था। अशरफ का साला सद्दाम और गुर्गा लल्ला गद्दी के इशारे पर ही जेल में उससे मिलने आने वालों को प्रवेश मिलता था।

हफ्ते में दो से तीन बार जेल के अंदर अलग स्थान पर एक से दो घंटे अशरफ का दरबार लगता था। इसी दौरान अपने लोगों से वह हर मुद्दे पर चर्चा करके फैसले लेता था। जेल के बाहर अशरफ का साला सद्दाम इन फैसलों को अंजाम तक पहुंचाता था।

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जेल के अफसरों की नींद उड़ी

मंगलवार को थाना बिथरी चैनपुर में जिला जेल के अज्ञात अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अशरफ के नजदीक रहे जेल के अधिकारियों की नींद उड़ गई है। दरअसल, माना जा रहा है कि इन अधिकारियों की वजह से ही जेल में अशरफ को हर सुविधा हासिल थी और वह पूरे एशोआराम के साथ रहता था।

यह भी कहा जा रहा है कि एसओजी और पुलिस ने कई अफसरों के खिलाफ प्रारंभिक तौर पर सुबूत मिलने के बाद ही एफआईआर दर्ज कराई है। इसके बाद जेल के कई अफसरों ने अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ अधिकारियों की भी गिरफ्तारी हो सकती है। फिलहाल उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है।

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