Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
वाराणसी । राम छाटपार शिल्प न्यास, इंडिया, सामने घाट लंका स्थित ईथी विथिका में लगी चित्र प्रदर्शनी मठा 198 को बीएचयू के छात्रों के साथ कलाप्रेमियों ने रविवार को देखा और इसे सराहा।
प्रदर्शनी के 06वें दिन कलाचार्य अमरेश कुमार, मृदुल, राजश्री गुप्ता ने चित्रों को देखकर कहा कि इसमें जहां एक ओर भारतीय उत्सव व समारोहों के रंग और खुशहाली को चित्रित किया गया है, वहीं आकारों और प्रतीकों के माध्यम से हम अपनी संस्कृति, परिवेश और जनमानस से जुड़ते हैं। संयोजन में प्रयुक्त सारे तत्व हमारी जीवन शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं।
साथ ही रंगों का व्यवहार पश्चिमी महान कलाकारों की रचनाओं की याद दिलाता है। इन चित्रों में प्रयुक्त तूलिका संचालन और रंग संगति भावी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है। काशी के कलाकारों और कला प्रेमियों के मन मस्तिष्क में इस प्रदर्शनी की याद एक लंबे समय तक बनी रहेगी।
प्रदर्शनी क्यूरेटर आचार्य मदन लाल गुप्ता ने अतिथियों से चित्रों के समक्ष विषय, माध्यम और शैली के साथ भारतीय समकालीन कला प्रवृत्तियों की चर्चा करते हुए अनेक जिज्ञासाओं को शांत किया। चित्रकार अवधेश मिश्र ने कहा कि हमें विषय और प्रवृत्तियों की ओर सायास नहीं भागना चाहिए। अपने जिए हुए समय और अनुभवों की मानस पर बनी छवियों को अपनी रचनात्मकता के अनुसार कैनवास पर स्थानांतरित कर देना चाहिए। यह मौलिक और अपनापन लिए होगा।
प्रदर्शित एक चित्र के बारे में बताते हुए अवधेश मिश्र ने कहा कि मठा 198 लिखे मील के पत्थर जहां किसी लड़की के बालों का क्लचर गिरा हुआ है, के पास बैठा कुत्ता उसकी राह देख रहा है। पर बात इतनी सी नहीं है, कुत्ता बरसों से मानव जाति का साथी है।
यह समस्त जीवों और प्रकृति के साथ हमारे साहचर्यपूर्ण जीवन का बयान करता है। पृष्ठभूमि में बने गांव और प्रकृति के साथ ही मांगलिक अनुष्ठान के प्रतीक और रंगों आदि को देखते, आस्वाद करते जब आप पूरे फलक पर गोते लगाते हैं तब पता चलता है कि जिस संस्कृति और अपनेपन से हम दूर हो रहे हैं उसी के लौटने की आस इस चित्र में दर्शायी गई है।
इस प्रदर्शनी में ऐसे बहुत सारे चित्र हैं जो हमें आमंत्रित करते हैं, कुछ कहते हैं, बतियाते और सुझाव देते हैं। कलाकार अवधेश मिश्र ने बताया कि प्रदर्शनी 15 मार्च तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी और स्वयं 14 और 15 मार्च को दर्शकों से संवाद के लिए उपस्थित रहेंगे।
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