‘सर्व सेवा संघ’ की एक इमारत मामला : वाराणसी के जिलाधिकारी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय 10 जुलाई को सुनवाई करेगा

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
नई दिल्ली। गांधीवादी मूल्यों के प्रचार में लगी सोसायटी ‘सर्व सेवा संघ’ की एक इमारत को गिराने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। वाराणसी के जिलाधिकारी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय 10 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमति हो गया है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने शुक्रवार को सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण की दलीलों का संज्ञान लेकर कहा कि वह जिला मजिस्ट्रेट को सूचित कर सकते हैं कि हम सोमवार को याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत है और इस बीच ढांचा ढहाया नहीं जाएगा।
1948 में आचार्य विनोबा भावे ने की थी सर्व सेवा संघ की स्थापना
प्रशांत भूषण ने इस मामले की तत्काल सुनवाई और ईमारत को गिराने के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन का प्रचार करने के लिए आचार्य विनोबा भावे ने 1948 में सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी। अब स्थानीय प्रशासन की तरफ से इमारत को ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है। सीजेआई ने कहा कि हम इसे सोमवार 10 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्ट करेंगे।
सर्व सेवा संघ ने इससे पहले वाराणसी में 12.90 एकड़ भूखंड पर बने ढांचों को गिराने के लिए उत्तर रेलवे के नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। संगठन ने कहा कि वाराणसी के परगना देहात में उसके परिसर के लिए जमीन उसने केंद्र सरकार से ‘1960, 1961 और 1970 में तीन तीन रज्सिटर्ड सेल डीड्स के जरिये खरीदी थी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सक्रिय हुए थे जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ने ढांचे को गिराने के संबंध में एक नोटिस जारी किया। डीएम को हाईकोर्ट ने संगठन और उत्तर रेलवे के बीच विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार दिया था। जिलाधिकारी ने 26 जून को कहा था कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार यह जमीन रेलवे की है।