वाराणसी : रामनगर की रामलीला का सातवें दिन , जनकपुर से बरात की विदाई, अवध में परिछन
![Varanasi: Seventh day of Ramlila of Ramnagar, farewell of procession from Janakpur, Parichan in Awadh](https://newspoint24.com/static/c1e/client/84309/uploaded/bde2b83ccb190f7a86d68ce6a7cc9492.png)
Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
वाराणसी। सीय चलत व्याकुल पुरबासी, होहिं सगुन सुभ मंगल रासी॥ भूसुर सचिव समेत समाजा, संग चले पहुंचावन राजा॥ सीताजी की विदाई होते ही जनकपुरी वासी व्याकुल हो उठे। ब्राह्मण और मंत्रियों के साथ राजा जनक प्रजा को समझाते हैं। रामनगर की रामलीला में सातवें दिन गुरुवार को जनकपुर से बरात की विदाई, अवध में परिछन तथा शयन की झांकी की लीला का मंचन हुआ।
महाराज जनक से आज्ञा पाकर बारात विदा हुई। जनकपुर के लिए जहां महारानी कौशल्या समेत तीनों माताएं और सभी नर-नारी बरात वापसी की राह में पलकें बिछाए हुए थे। आखिर वह पावन बेला आई। बारात अयोध्या पहुंचते ही ढोल नगाड़े बज उठे। एक तरफ मंगल गीतों का मधुर गायन तो दूसरी और पुष्पों की वर्षा हो रही थी। विधि विधान के साथ हर्षित माताओं ने नववधुओं का परिछन किया और फिर गूंज उठी श्री राम की जय जय कार।
![रामलीला](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/09/09/750x506/ramnagar-ki-ramlila_1662739664.jpeg)
बरात अयोध्या के मुख्य द्वार पर पहुंची और राम सीता के पालकी का पट परिछन के लिए खोला गया। लीला प्रेमी उनके दर्शन पाकर धन्य हो उठे। चारों ओर जय सीता राम का उद्घोष होने लगा। सीता को देखने के लिए महिलाओं की भी भारी भीड़ थी। माताएं राम सीता का परिछन करके उनकी आरती उतारकर महल में प्रवेश करने के बाद राजकुमारों और उनकी बहुओं को सिंहासन पर बैठाया जाता है। माताएं उन्हें आशीर्वाद देती हैं।
दशरथ पुत्रों सहित स्नान करके कुटुंबियों को भोजन कराते हैं। सब को शयन कराने के लिए कहते हैं। मुनि विश्वामित्र आश्रम जाने के लिए विदा मांगते हैं। दशरथ सदैव कृपा बनाए रखने और दर्शन देते रहने के लिए कहकर उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करते हैं। यहीं पर आठों स्वरूपों की आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया।