संस्कृत व्याकरण प्रकांड विद्वान व काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल का 90 वर्ष की आयु में निधन 

संस्कृत व्याकरण प्रकांड विद्वान व काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय   पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल का 90 वर्ष की आयु में निधन

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ


 संस्कृत व्याकरण प्रकांड विद्वान व काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय   पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल का 90 वर्ष की आयु में निधन

वाराणसी। श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के विद्वान पद्मश्री रामयत्न शुक्ल का मंगलवार को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बीते एक हफ्ते से वह बीमार थे और वाराणसी हास्पिटल में भर्ती थे। यह जानकारी मिलते ही काशी के विद्वत समाज में शोक की लहर दौड़ गई।। वाराणसी हास्पिटल में उनका निधन मंगलवार की शाम छह बजकर दो मिनट पर हुआ। 19 सितंबर को उनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल की आइसीयू में भर्ती कराया गया था। आक्सीजन लेवल लगातार गिरने के कारण डाक्टर उन्हें नहीं बचा सके। उनके निधन से पांडित्य परंपरा के एक युग का अंत हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही संस्कृत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
 
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी, शहर दक्षिणी के विधायक व पूर्व मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी, भाजपा महानगर अध्यक्ष विद्या सागर राय, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव, शिव शरण पाठक सहित अन्य लोगों ने उनके निधन पर काशी विद्वत परंपरा की अपूरणीय क्षति बताया है।

वर्ष 2021 में मिला था पदमश्री पुरस्कार

काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल पद्मश्री पु

प्रो. शुक्‍ल को वर्ष 2021 में पद्मश्री पुरस्कार मिला था। वहीं वर्ष 1999 में राष्ट्रपति पुरस्कार, वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से केशव पुरस्कार, वर्ष 2005 में महामहोपाध्याय सहित अनेक पुरस्कार व सम्मान मिल चुका है। आपका दर्जनों पुस्तकों व लेख व शोध पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।

30 वर्षों से लगातार काशी विद्वत परिषद के रहे अध्यक्ष

प्रो. रामयत्न शुक्ल ऐसे विद्वान हैं कि देश की जानी-मानी विद्वत संस्था काशी विद्वत परिषद के लगातार तीस वर्षों से अध्यक्ष थे। उन्होंने यह पद दर्शन केशरी प्रो. केदारनाथ त्रिपाठी से ग्रहण किया था।

शास्त्रार्थ समिति के थे संस्थापक

प्रो. शुक्ल का जन्म 15 जनवरी 1932 में काशी में हुआ था। वर्ष 1961 में उन्होंने संयासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य का कार्यभार संभाला। वर्ष 1974 में आप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बतौर प्राध्यापक नियुक्त हुए। वर्ष 1976 में आप संस्कृत विश्वविद्यालय छोड़कर बीएचयू चले गए। हालांकि वर्ष 1978 में व्याकरण विभाग में बतौर उपाचार्य दोबारा उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया। संस्कृत विवि से ही वर्ष 1982 में वह प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए। प्रो. शुक्ल उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति व सनातन संस्कृत संबर्धन परिषद के संस्थापक भी है।

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