बसंत पंचमी से ब्रज में होली की शुरुआत : बांके बिहारी के दरबार में पहुंचे भक्तों ने गुलाल से जमकर होली खेली

ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है। ब्रज की होली देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। आज यानी बसंत पंचमी से ब्रज में होली की शुरुआत हो चुकी है। 41 दिनों तक यह होली उत्सव चलेगा। गुरुवार को बांके बिहारी के दरबार में पहुंचे भक्तों ने गुलाल से जमकर होली खेली। भगवान बांके बिहारी भी भक्तों के साथ होली खेल रहे हैं। होली के रंग में सभी सराबोर नजर आ रहे हैं। बसंत पंचमी पर भगवान बांके बिहारी जी का प्रसादी यानी गुलाल भक्तों पर मंदिर के पुजारी ने बरसाए।
ब्रज में होली की तस्वीरें देखते हैं...
(ब्रज में एक-दूसरे को गुलाल लगाकर बसंत पंचमी मनातीं महिलाएं।)
(भगवान के साथ होली खेलने आए भक्त।)
(बांके बिहारी दरबार में श्रद्धालु कान्हा को लेकर पहुंचे। जमकर होली खेली।)
(बसंत पंचमी से हुई ब्रज में होली की शुरुआत। 41 दिनों तक होली का उत्सव चलेगा।)
(बांके बिहारी दरबार में रंग बिरंगे गुलाल बरसाए जा रहे हैं।)
(बांके बिहारी के दरबार को फूल माला और गुब्बारों से सजाया गया है।)
(पूरा बांके बिहारी दरबार गुलाल के रंगों से सराबोर दिख रहा है।)
(भक्त भगवान के साथ होली खेल रहे हैं।)
ब्रज के मंदिरों में भगवान को लगाया जाता है गुलाल
वैसे तो दुनिया के कोने-कोने में हिन्दू समाज के लोग आज के दिन बसंत-पंचमी का त्योहार मनाते है। लेकिन, ब्रज भूमि में इस त्योहार का अपना अलग ही महत्त्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रज में आज ही के दिन से 41 दिन के होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है और इस दिन यहां के सभी प्रमुख मंदिरों में जमकर गुलाल उड़ाया जाता है।
मंदिर में हर तरफ दिखा रंग गुलाल
वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में बसंत-पंचमी पर होली का नजारा बेहद मनभावन है। होली में भले ही अभी 41 दिन का वक्त हो, लेकिन ब्रज में अभी से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रज में बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही बसंत-पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो चुकी है।
बांके बिहारी को लगाया गुलाल का टीका
बांके बिहारी मंदिर में जमकर गुलाल उड़ाया गया। परंपरा के अनुसार, मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी ने भगवान बांके बिहारी को गुलाल का टीका लगाया। इसी के साथ होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत हुई। इसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों ने जमकर बसंती गुलाल उड़ाया।
ब्रज की होली है विश्व प्रसिद्ध
रंगों का त्योहार होली सभी जगह प्रसिद्ध है। लेकिन, ब्रज की होली की बात ही निराली है। यहां रंग, गुलाल के अलावा लाठी डंडों और अंगारों से भी होली खेली जाती है। होली से 8 दिन पहले बरसाना में लड्डू होली, लट्ठमार होली खेली जाती है तो होलिका दहन के दिन जलती आग से पंडा निकलता है। होली के बाद बलदेव में कपड़ा फाड़ होली खेली जाती है तो पंचमी को रंगनाथ भगवान भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उसी के साथ होता है ब्रज की होली का समापन।