औरैया में फर्जी बैंक खोलकर की करोड़ों की ठगी, कर्मचारी की सैलरी न आने पर हुआ खुलासा, सेटअप देख पुलिस हुई दंग

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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में फर्जी बैंक खोलकर करोड़ों की ठगी करने का मामला सामने आया है। इस काम को इतनी सफाई से किया गया कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी फर्जीवाड़े का शक नहीं हुआ।  बैंक की ब्रांच जैसा सेटअप तैयार किया गया। जिससे कि किसी को शक न हो। पहले तो कर्मचारियों को सैलरी दी गई। लेकिन बाद में 3 महीने की सैलरी रुकने पर यह फर्जीवाड़ा सामने आया। मास्टरमांइड और उसके साथी द्वारा खोले गए फर्जी बैंक में नौकरी देने के नाम पर लोगों से लाखों की सिक्योरिटी ली गई। सैलरी मिलना बंद हुई तो एक कर्मचारी पुलिस के पास पहुंच गया। जब पुलिस ने मामले की जांच की तो पुलिस भी दंग रह गई। फर्जी बैंक को आर्यावर्त निधि बैंक के नाम से खोला गया था। जिसके बाद पुलिस ने फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड अद्वैत और असलम को गिरफ्तार कर लिया। 

आरोपियों ने खोली थीं 5 ब्रांच
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि इन्होंने 5 ब्रांच खोली थीं। फर्जी बैंक की 5 ब्रांचों में 50 से ज्यादा कर्मचारी रखे गए थे। वहीं 1 साल के अंदर 300 से ज्यादा कस्टमर बना लिए। आरोपियों का अधिकतर फोकस FD और सेविंग अकाउंट पर था। आरोपी छोटा-मोटा ट्रांजेक्शन करते थे। जिससे कि शक न हो। कोरोना काल में इसका मास्टरमांइड असलम बैंक में नौकरी करता था। नौकरी जाने के बाद साथी अद्वैत के साथ औरैया में डिजिटल आर्यावर्त निधि बैंक नाम से एक ब्रांच खोली। जिसका बैंक की तरह ही सेटअप किया गया। साथ ही फर्जी वेबसाइट और एप बनाया। शुरुआत में 4-5 कर्मचारी रखे गए। जिनसे बैंक में नौकरी लगवाने और सिक्योरिटी के तौर पर 1.80 लाख रुपए जमा कराए गए। वहीं कस्टमर को लुभाने के लिए तरह-तरह के ऑफर दिए। FD को 5 साल में डबल करने का ऑफर दिया गया। जिससे कि कस्टमर बढ़ने लगे।

100 लोगों को दी गई नौकरी
कस्टमर का विश्वास बनाए रखने के लिए अलग-अलग ब्रांच खोली गई। कस्टमर की FD और कर्मचारियों की सिक्योरिटी मनी से सैलरी दी जाने लगी। इसके बाद आरोपियों ने अपनी पत्नियों नरगिस औऱ प्रगति को डायरेक्टर बना दिया। वह दोनों कभी-कभी बैंक में विजिट के लिए आती थीं। अलग-अलग कस्बों में 100 कर्मचारियों को काम पर रख लिया। जब कस्टमर FD कराने लगे तो पैसे भी आने लगे। गांव का एरिया होने के चलते 25 से लेकर 50 हजार रुपए तक की FD की जाती। वहीं कर्मचारियों को 15 से लेकर 25 हजार रुपए तक सैलरी दी जाती। पुलिस ने बताया कि आरोपी असलम पहले भी पैसों को डबल करने के मामले में जेल जा चुका है। कोरोना काल में नौकरी जाने के और जेल से छूटने के बाद उसने फर्जी बैंक ही बना डाली।

नौकरी देने के नाम पर लिए लाखों रुपए
वहीं आरोपियों ने लल्ली यादव के साथ मिलकर जिले में 5 शाखाएं खोलकर फ़्रॉड करना शुरू कर दिया। इसके बाद एक नई ब्रांच जालौन के कौंच में खोली गई। आरोपियों की बैंक में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि उसके साले का फोन आया कि उसे नौकरी की तलाश है। इस दौरान आरोपियों ने उससे 1.80 लाख रुपए का ड्राफ्ट बनाकर पैसे जमा करा लिए। इसके बाद शीलू के परिचितों को भी नौकरी पर रख लिया गया। वहीं बीते 3 महीने से सैलरी न मिलने पर पुलिस से मामले की शिकायत की गई। जब पुलिस ने डेटा खंगालना शुरू किया तो डिजिटल आर्यावर्त निधि बैंक के नाम से संचालित बैंक का कोई डेटा सर्वर पर नहीं मिला। जिसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान आरोपियों ने 3 करोड़ की ठगी की है। 

पुलिस कर रही मामले की जांच
जब बात से हल नहीं निकला तो सुरेंद्र नाहर ने इसकी शिकायत पुलिस को दी। पुलिस ने मामले में डेटा खंगालना शुरू किया। पुलिस को सर्वर पर डिजिटल आर्यावर्त निधि बैंक के नाम से संचालित बैंक का कोई डेटा नहीं मिला। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू करके दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने बताया कि बैंक के चेयरमैन होने के नाते उन्होंने रुतबा बनाने के लिए पैसों को खर्च करना शुरूकर दिया। जिस कारण वह सैलरी नहीं दे पाए। बता दें कि हर बैंक कर्मचारी के लिए लैपटॉप की व्यवस्था की गई। साथ ही पासबुक प्रिटिंग मशीन और कैश काउंटिंग मशीन भी रखी गई। बताया जा रहा है कि यह फर्जी बैंक 1 साल से चल रहा था। आरोपियों के पास से 6 लैपटॉप, पासबुक प्रिंटिंग मशीन, कैश काउंटिंग मशीन, इन्वर्टर व बैट्री, बैंक में प्रयोग की जाने मोहरें, क्यूआर कोड, मॉनिटर और कई अन्य तरह के इलेक्ट्रानिक गैजेट पुलिस ने बरामद किया है। 

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