पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद फरार घोषित, शिष्या से रेप मामले में जारी हुआ था NBW

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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

शाहजहांपुर। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई है। दरअसल 11 साल पुराने शिष्या से दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि चिन्मयानंद के घर के बाहर और सार्वजनिक स्थान पर आदेश की कापी चस्पा की जाए। इसके अलावा  कोर्ट ने चिन्मयानंद को फरार घोषित मानते हुए दंड प्रक्रिया सहिंता 82 के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट में चिन्मयानंद ने लगाई थी अर्जी

एमपी/एमएलए कोर्ट ने इससे पहले कोर्ट भी चिन्मयानंद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर चुका है। कोर्ट ने पेश होने के लिए चिन्मयानन्द को सम्मन भेजे थे लेकिन लगातार कोर्ट से गैरहाजिर होने पर एमपी/एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया था।

वहीं गैर जमानती वारंट के मामले में चिन्मयानंद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी 30 नवंबर तक कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था। गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी चिन्मयानंद कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।

उनके वकील ने उनको बीमार होने की दलील दी लेकिन अभियोजन पक्ष ने आपत्ति जताई। जिसके बाद कोर्ट ने चिन्मयानंद के वकील की दलील को मानने से इंकार कर दिया।

साल 2018 में बीजेपी सरकार ने कोर्ट में लगाई थी अर्जी

बता दें कि 11 साल पहले स्वामी पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की शिष्या ने दुष्कर्म का आरोप लगाकर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। उसके बाद चिन्मयानंद पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने के लिए साल 2018 प्रदेश सरकार ने कोर्ट में अर्जी लगाई थी। मगर पीड़ित पक्ष ने कोर्ट में अर्जी लगाकर आपत्ति दर्ज कराई।

जिसके बाद कोर्ट ने प्रदेश सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया था। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री की शिष्या ने साल 2011 में चौक कोतवाली में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। चिन्मयानंद के हाजिर न होने की वजह से कोर्ट ने उनके खिलाफ पहले जमानती फिर गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था।

चिन्मयानंद सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। पुलिस अभी तक चिन्मयानंद को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। अगर चिन्मयानंद कोर्ट में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ धारा 83 के तहत कुर्की की कार्रवाई भी हो सकती है। 

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