अयोध्या : दशरथ महल का 65 किलो चांदी और सोने से बना झूला सावन मेले में आकर्षण का केंद्र
![Ayodhya: The swing made of 65 kg silver and gold of Dashrath Mahal is the center of attraction in the Sawan fair.](https://newspoint24.com/static/c1e/client/84309/uploaded/1e84595e714357cdde47f44259bb1f70.png)
Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
अयोध्या। दशरथ महल का झूला उत्सव अयोध्या के सावन मेले में आकर्षण का केंद्र बना है। यह झूला 65 किलो चांदी और सोने से बना है। इस झूले पर भगवान श्रीराम-जानकी सहित चारो भैया 12 अगस्त तक दर्शन देंगे।
श्रीराम और सीता की 8-8 सहेलियों को झूला में मिला है स्थान
विंदु सम्प्रदाय की आचार्य पीठ दशरथ महल के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि राजा दशरथ सूर्य वंश के राजा थे। इस वंश में श्रीराम का जन्म हुआ। इसलिए झूले पर सबसे ऊपर सोने से सूर्य भगवान का चित्र बना हुआ है। उसके दोनों ओर भगवान श्रीराम और सीता की 8-8 सहेलियों को स्थान दिया गया है। ये सभी भगवान और सीता जी की सेवा में सजग रहती हैं।
पीठ के 10वें महंत रघुबर दास महाराज ने जयपुर से 1962 में बनवाया था झूला
उन्होंने बताया कि बताया कि पीठ के 10वें महंत रघुबर दास महाराज ने जयपुर से 1962 में इस भव्य झूले का निर्माण कराया था। यह वह स्थान है, जहां श्रीराम के जन्म के बाद उनका पालन-पोषण हुआ।
देश के कई स्थानों से संत और भक्त रोज यहां पहुंच रहे
मंगल भवन के महंत और कथावाचक राम भूषण दास कृपालु बाबा ने बताया कि मंदिर में 31 जुलाई से झूलन उत्सव रोज शाम 8 बजे शुरू होकर देर रात तक चल रहा है। भगवान के इस दिव्य रूप की झांकी के दर्शन के लिए अयोध्या सहित देश के अनेक स्थानों से संत और भक्त रोज यहां पहुंच रहे हैं।
मणि पर्वत, मख भूमि और भरत कुंड से राजा दशरथ का गहरा संबंध
राजा दशरथ के पुत्र यज्ञ स्थल मख भूमि और भरत की तपोस्थली भरत कुंड भी दशरथ महल के ही स्थान हैं। दशरथ महल के संत ही इन दोनों स्थानों पर रहकर महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य की देख-रेख में स्थान की परंपरा निभाते हैं। मख भूमि बस्ती जिले में है, जबकि भरत कुंड अयोध्या जिले में ही पड़ता है। इतना ही नहीं, मणि पर्वत से दशरथ का गहरा संबंध है।
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