यूपी की 12 हस्तियों को मिला 'पद्मश्री'
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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
लखनऊ । गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार (25 जनवरी) को 2024 के लिए 'पद्म पुरस्कारों' का ऐलान कर दिया गया। इस बार 132 हस्तियों को पद्म पुरस्कार दिए जाएंगे, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री की नामचीन हस्तियों का नाम हैं। इनमें यूपी से भी 12 नाम हैं।
कला के क्षेत्र में 6, साहित्य में 2, विज्ञान में 1, खेल में 1 और मेडिकल में 2 नाम शामिल हैं। इनमें से चार राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं। ये अवॉर्ड इसी साल मार्च/अप्रैल में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में दिया जाएगा।
- कला क्षेत्र में सम्मान
नसीम बानो
नसीम बानो।
लखनऊ की रहने वाली नसीम बानो को पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है। नसीम बानो चिकनकारी कारीगर हैं। बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 सालों की विशेषज्ञता रखती हैं।
स्वर्गीय सुरेंद्र मोहन मिश्रा
स्वर्गीय सुरेंद्र मोहन मिश्र को कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा। सुरेंद्र मोहन बनारस घराने के प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक थे। 6 दशकों से अधिक समय तक का करियर था।
गोदावरी सिंह
गोदावरी सिंह।
गोदावरी सिंह को भी कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गोदावरी सिंह वाराणसी के 84 वर्षीय लकड़ी खिलौना निर्माता हैं। लकड़ी के लैकरवेयर और खिलौने का प्रचार और संरक्षण करते हैं।
उर्मिला श्रीवास्तव
कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव।
मीरजापुर के वासलीगंज में रहने वाली कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। 12 साल की उम्र से मोहल्ले के नाग पंचमी के मेले में मीरजापुरी कजरी सुनकर बड़ी हुईं।
उर्मिला की कजरी ने खाड़ी देशों में भी खासी पहचान बनाई है। लोकगीत, भोजपुरी, मुख्यत: मीरजापुर कजरी, देवी गीत, दादरा, कहरवां, पूर्वी, चैती, होली, कजरी, झूमर, खेमटा, बन्नी, सोहर विधा में उन्हें महारत हासिल है।
बाबू राम यादव
बाबू राम यादव।
मुरादाबाद के रहने वाले बाबू राम 74 साल के हैं। उन्हें पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके जटिल पीतल की कलाकृतियां बनाने में 6 दशकों से अधिक का अनुभव है। विश्व स्तर पर उन्होंने 40 से अधिक प्रदशर्निर्याें में अपने कार्य का प्रदर्शन किया है।
नए कारीगरों खासतौर से कुष्ठ रोगियों को प्रशिक्षण दिया। करीब 1000 लोगों को वह अब तक प्रशिक्षण दे चुके हैं। आर्टिसन लाइट संस्था के नाम से वह कारीगर समुदाय की आर्थिक सहायता भी करते हैं। उन्हें ब्रास का बाबू भी कहा जाता है।
खलील अहमद
खलील अहमद।
हैंडमेड दरी के काम में लगे खलील अहमद को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इन्हें पहले भी शिल्प कला के क्षेत्र में पुरस्कार मिल चुका है। मिर्जापुर नगर के इमामबाड़ा के मौलाना खलील अहमद बाघ कुंजल गीर बगीचा मोहल्ला के रहने वाले हैं। दरी का व्यवसाय इनका पुश्तैनी धंधा है। यहां दरी मशीनों से नहीं हाथ से बुनी जाती हैं।
- साहित्य क्षेत्र में सम्मान
राजाराम जैन
प्रोफेसर राजाराम जैन।
प्राचीन भारतीय साहित्य के क्षेत्र में प्रोफेसर राजाराम जैन को पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। प्रोफेसर राजाराम जैन ने प्राचीन भारत से जुड़ी कई किताबें भी लिखी हैं।
नवजीवन रस्तोगी
प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी ।
लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के रिटायर प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी को 85 साल की आयु में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। प्रोफेसर नवजीवन रस्तोगी ने शिक्षा के क्षेत्र में कई किताबें भी लिखी हैं। नवजीवन रस्तोगी का विशेष कार्य क्षेत्र अभिनव विचार और कश्मीर शैव मत है।
- अब बात मेडिकल लाइन में सम्मान वालों की
आरके धीमन
आरके धीमन।
देश के टॉप लिवर स्पेशलिस्ट और लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन को साल 2024 के पद्मश्री अवार्ड्स के लिए चुना गया हैं। प्रोफेसर आरके धीमन को यह सम्मान मेडिसिन के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए दिया जाएगा। प्रोफेसर आरके धीमन ने हेपेटाइटिस, विशेष कर पंजाब में हेपेटाइटिस सी के कंट्रोल के लिए विशेष काम किया है।
राधेश्याम पारीक
डॉक्टर राधे श्याम पारीक।
आगरा के डॉ राधे श्याम पारीक को होम्योपैथी के क्षेत्र में किए गए शोध कार्य और लोगों के बीच में होम्योपैथी पद्धति को स्थापित करने के लिए पद्मश्री सम्मान मिला। 91 साल के डॉ राधेश्याम पारीक का जन्म मार्च 1933 में नवलगढ़ राजस्थान में हुआ था।
वहां से आगरा आ गए। यहां होम्योपैथी से इलाज कराना शुरू किया। इसके बाद इंग्लैंड से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन करने चले गए। होम्योपैथी के साथ-साथ समाजसेवा के क्षेत्र में भी डॉ. आरएस पारीक ने काम किया है।
- अब बात विज्ञान क्षेत्र में सम्मान वालों की
राम चेत चौधरी
राम चेत चौधरी।
काला नमक धान को नवजीवन देने वाले कृषि वैज्ञानिक ने पद्म सम्मान से गोरखपुर का मान बढ़ाया है। 79 साल के डॉ. रामचेत ने महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद को संरक्षित करने के लिए तकरीबन 30 साल तक संघर्ष किया। उनके प्रयास से आज पूर्वांचल के 11 जनपदों में 80 हजार हेक्टेयर में कालानमक धान की पैदावार हो रही है। इन्होंने कृषि पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
- अब बात खेल क्षेत्र से सम्मान वालों की
गौरव खन्ना
गौरव खन्ना।
लखनऊ के निवासी गौरव खन्ना 2015 से भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के मुख्य राष्ट्रीय कोच हैं। इससे पहले वह भारतीय बधिर बैडमिंटन टीम के प्रमुख राष्ट्रीय कोच थे। वह एशिया बधिर बैडमिंटन टीम के कोच भी थे।
गौरव खन्ना पैरा बैडमिंटन खेल में देश के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता और किसी भी पैरा खेल में यूपी राज्य के पहले द्रोणाचार्य हैं। वह यश भारती, गुरु गोविंद सिंह पुरस्कार विजेता, मार्क ऑफ एक्सीलेंस पुरस्कार विजेता भी हैं। उन्हें यूपी सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया है।