संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से नाट्य कार्यशाला गढ़ रही है रंगमंच नई पीढ़ी

संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से नाट्य कार्यशाला गढ़ रही है रंगमंच नई पीढ़ी

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

बेगूसराय । संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा बीहट में चल रहा 30 दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला रंगमंच की नई पीढ़ी को विकसित करने का नया अध्याय लिख रहा है।

12 फरवरी से शुरू नाट्य कार्यशाला का समापन 14 मार्च को होना है। जिसमें बाल रंगमंच के नन्हे-मुन्ने कलाकार बड़ी तन्मयता के साथ हर गतिविधियों से जुड़कर कार्यशाला को सफल बनाने में लगे हुए हैं। कार्यशाला निर्देशक ऋषिकेश कुमार बच्चों को अभिनय की बारीकियों से अवगत करवा रहे हैं। वहीं, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से उत्तीर्ण सिकंदर कुमार के द्वारा कहानियों और नाटक के दृश्यों से बच्चों को निखारा जा रहा है।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वर्तमान समय को देखते हुए बच्चे, बुजुर्ग एवं अन्य वर्ग के लोगों पर मोबाइल का किस प्रकार हावी होना और आने वाले समय में इसका दुरुपयोग जीवन के लिए होने वाले जानलेवा हानिकारक दुष्परिणाम को दिखाना है।

इसे दर्शाते हुए कार्यशाला निरंतर आगे की ओर बढ़ रही है। कार्यशाला में स्क्रिप्ट राइटिंग, मास्क मेकिंग, क्राफ्ट वर्क एवं एक्सरसाइज के माध्यम से बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत तथा उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने का काम बाल रंगमंच विगत कई वर्षों से नि:शुल्क काम करती आ रही है।

ऋषिकेश ने बताया कि हमारी आज की पीढ़ी अपने बचपन को एक सीमित दायरा मोबाइल में कैद कर चुकी है। जिसके आगे ना वह कुछ सोच पाती है, ना ही कुछ देख पा रही है। मोबाइल हमें दिमागी तौर से सुस्त और ना जाने कितनी बीमारियों से ग्रसित कर रही है।

जिसका दुष्परिणाम हमारे आने वाली पीढ़ी को झेलना पड़ेगा। समय-समय पर बाहर से भी प्रशिक्षक कार्यशाला में बच्चों के बीच अपने अनुभव को साझा करने आते रहें हैं। जिसमें आत्म प्रकाश मिश्रा सहित अन्य प्रशिक्षक भी मौजूद रहे।

कार्यशाला निरंतर सुलभ तरीके से आगे की ओर जा रहा है। इस कार्यशाला में 25 से अधिक बच्चों अपनी प्रतिभा को निखारने में लगे है। जिसमें पूर्णिमा, आरुषि, भारतीय, महिमा रानी, राधा, कंचन, सरस्वती, प्रिया, रोहित, राजेश, शिवराज, सौरभ, ऋषभ, छोटू, प्रतीक, आर्यन, आयुष एवं धर्मवीर सहित अन्य बच्चे शामिल हैं। 

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