जीडी कॉलेज के छात्रों ने मिथिला विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर दिलाया पदक

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
बेगूसराय । एक बार फिर से गणेशदत्त महाविद्यालय (जी.डी. कॉलेज) बेगूसराय के प्रतिभागी बच्चों ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा को 14 वर्षों बाद नाटक विधा में राष्ट्रीय पदक दिलाने में सफलता हासिल की है।विश्वविद्यालय की 42 सदस्यीय टोली में 13 गणेशदत्त महाविद्यालय बेगूसराय के प्रतिभागी तीन विधाओं में भाग ले रहे थे। जिसमें नाटक विधा में साक्षी, आंचल, प्रीति, विजेन्द्र, संदीप, कुणाल, ऋषि, आकाश, ऋषि और सुगम संगीत विधा में किशन कुमार ने भाग लिया। प्रशिक्षक के रूप में गणेश गौरव, कुणाल कुमार एवं डॉ. कुन्दन कुमार शामिल थे।
महाविद्यालय के साथ-साथ विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर महाविद्यालय परिवार फुला नहीं समा रहा है। जैन विश्वविद्यालय बेंगलुरु में आयोजित 36 वें अंतर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय युवा महोत्सव में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए गणेशदत्त महाविद्यालय बेगूसराय के छात्र-छात्राओं ने नाटक विधा में तृतीय स्थान प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धि दर्ज की है।
देश के करीब नौ सौ विश्वविद्यालयों को पीछे छोड़ते हुए मिथिला विश्वविद्यालय को यह पुरस्कार नाटक विधा में दूसरी बार हासिल हुआ है। इसके पूर्व 2009 में गणेशदत्त महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने डॉ. कुंदन कुमार के नेतृत्व में ही महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया था। इस वर्ष भी यह उपलब्धि नाटक और सुगम संगीत में राष्ट्रीय स्तर पर महाविद्यालय के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।
इस उपलब्धि पर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राम अवधेश कुमार ने कहा कि महाविद्यालय के प्रतिभागी बच्चे सीमित संसाधनों में बेहतर प्रदर्शन कर जहां एक तरफ महाविद्यालय का नाम रोशन किया है, विश्वविद्यालय को भी यह खिताब मिला है। प्रधानाचार्य ने कहा कि गणेशदत्त महाविद्यालय जिस रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है, आने वाले समय में यहां पर संगीत और नाटक विभाग की महती आवश्यकता दिखती है।
महाविद्यालय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष-सह-अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार ने कहा कि यह हम सब के लिए बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि में जहां छात्र-छात्राओं, उनके प्रशिक्षकों का योगदान का योगदान है। सांस्कृतिक समन्यवक डॉ. कुंदन कुमार के अथक प्रयास को कभी भुलाया नहीं जा सकता। दूसरी बार भी यह उपलब्धि डॉ. कुंदन के संयोजन में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है।