सूरजकुंड मेले में पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं उड़ीसा के महेश्वर परिडा की मूर्तियां

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
फरीदाबाद । 36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में उड़ीसा के बालासोर के 58 वर्षीय महेश्वर परिडा की स्टोन कार्विंग की शानदार मूर्तियां उन्हें अलग पहचान दिला रही हैं।
उड़ीसा सरकार चार सरकारी विद्यालयों में 1 से 2 वर्ष का स्टोन कार्विंग का प्रशिक्षण दिला रही है, ताकि प्रदेशवासियों के हुनर को तराशा जा सके और वे स्टोन कार्विंग की कला को आगे बढ़ा सकें। महेश्वर परिडा ने पांचवी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद सरकारी विद्यालय से स्टोन कार्विंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसके बाद से वे इस कला को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।
उड़ीसा सरकार ने भुवनेश्वर, मयूरभंज, बालासोर, कोणार्क आदि स्थानों पर स्टोन कार्विंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महेश्वर परिडा के स्टॉल संख्या-572 पर 1 हजार रुपये से 8 लाख रुपये तक की पत्थर की शानदार मूर्तियां उपलब्ध हैं। वे अपने 61 वर्षीय भाई वृंदावन परिडा के साथ स्टोन कार्विंग की कला को आगे बढा रहे हैं।
उन्हें वर्ष 2018 में शिल्प गुरू अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है तथा 1994-95 में उन्हें स्टोन कार्विंग कला में योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। मुख्य मूर्तिकला की शाखा के रूप में पत्थर नक्काशी को स्टोन कार्विंग कहते हैं।
नरम साबुन पत्थर कोमल, जटिल नक्काशी की अनुमति देता है, जबकि बलुआ पत्थर, महीन चपटी रेत और दानों की परतों के साथ एक नाजुक तलचपटी चट्टान को बहुत सावधानी से छूना पड़ता है, क्योंकि यह पत्थर आसानी से टूट जाता है।